नमस्कार साथियों! स्वागत है आपका, पृथ्वी से परे जीवन की खोज के पार्ट 2 में। पहले पार्ट के अंत में हमने कुछ प्रश्नों के बारे में बात की थी जैसे– अगर हमारे ब्रह्मांड में जीवन एक आम बात है जो हर कहीं मौजूद है और फल-फूल रहा है तो हम हमारे ब्रह्मांड में मौजूद जीवन की कड़ी में किस छोर पर मौजूद हैं?
क्या हमारे पृथ्वी पर जीवन पनपने से पहले भी कहीं और भी जीवन मौजूद था? या फिर हम हमारे ब्रह्मांड में जीवन की उत्पत्ति तथा शुरुआत के पहले पात्र तो नहीं? और क्या इस ब्रह्मांड में सबसे पहले हमारी पृथ्वी पर ही जीवन की शुरुआत हुई है?
और इस पोस्ट में हम इन सवालों का जवाब खोजने की कोशिश करेंगे। चलिये शुरू करते हैं– ऊपर दिये गए सब ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब जानने के लिए हमें हमारे ब्रह्मांड के सफर को एक नए सिरे से शुरू करना होगा, और ऐसे ग्रहों और उपग्रहों की यात्रा करनी होगी जहां जीवन मौजूदगी के आसार दिखाई दें।
इस विशाल ब्रह्मांड में जीवन उत्पत्ति की खोज के लिए हमें हमारे ब्रह्मांड को और भी अच्छे से जानने और चीजों को समझने की कोशिश करनी होगी। क्या आपको पता है कि हमारा विशाल ब्रह्मांड कितने साल पुराना है?, हमारी आकाशगंगा का निर्माण कितने सालों पहले हुआ था? और हमारे विशाल ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई?
ब्रह्मांड की उत्पत्ति–
हमारा विशाल ब्रह्मांड करीब 13.8 बिलियन सालों पुराना है और हमारी आकाशगंगा Milky Way का निर्माण आज से करीब 12 बिलियन सालों पहले हुआ था। वही हमारी पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति आज से करीब 3.8 बिलियन सालों पहले हुई थी और केवल कुछ सालों पहले ही यहां एक बुद्धिजीवी प्रजाति होमोसेपियंस विकसित हुई।
मतलब हम इस विशाल ब्रह्मांड के ब्रह्मांडीय पैमाने पर हम एक बेहद ही छोटे से हिस्से में मौजूद है। ऐसे में काफी संभावना है कि इस ब्रह्मांड में जीवन की उत्पत्ति हमसे काफी पहले ही हो चुकी हो। जहां जीवन हमारी पृथ्वी के जीवन से काफी भिन्न, विकसित और उन्नत हो सकता हैं।
लेकिन यहाँ पर एक सवाल यह उठता है कि क्या हमारे इस विशाल ब्रह्मांड के ब्रह्मांडीय पैमाने पर हमारी पृथ्वी पर जीवन काफी देर से आया या शुरू हुआ? और क्या हमसे पहले भी हमारे इस ब्रह्मांड में जीवन की उत्पत्ति पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहों पर हो चुकी है? अगर ऐसा है तो यह जीवन हमसे कितना पुराना हो सकता है?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें अपने ब्रह्मांड की शुरुआत को एक नए नजरिए से देखना होगा। हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति और करीब 13.8 बिलियन सालों पहले एक महा–विस्फोट से हुई थी। वैज्ञानिकों ने इस महा–विस्फोट को बिग–बैंग का नाम दिया है।
इस महाविस्फोट बिग–बैंग के कुछ मिलियन सालों तक हमारा ब्रह्मांड काफी गर्म था जो कि किसी भी प्रकार का जीवन पनपने के लिए उपयुक्त नहीं था। धीरे-धीरे जब हमारा ग्रह जीवन पनपने लायक ठंडा हुआ तब हमारा ब्रह्मांड केवल हाइड्रोजन के विशाल बादलों से भरा हुआ था।
बिग–बैंग के लगभग 70 मिलियन सालों बाद तक गुरुत्वाकर्षण ने इन बादलों को अपने हिसाब से चलाना शुरू किया और कई सालों तक चली इस प्रक्रिया ने इन हाइड्रोजन के बादलों से पहली पीढ़ी के तारों को जन्म दिया।
पहली पीढ़ी के तारे–
पहली पीढ़ी के तारे बेहद ही विशाल, शक्तिशाली और चमकीले थे जो कि लगभग पूर्ण रूप से हाइड्रोजन से ही बने हुए थे। लेकिन जीवन पनपने के लिए जरूरी मूल घटक और कार्बनिक अणु अभी भी अस्तित्व में नहीं आए थे क्योंकि बिग–बैंग इतना गर्म नहीं था कि बिग–बैंग से जीवन पनपने के लिए जरूरी मूल घटक और कार्बनिक अणुओं का निर्माण हो सके।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बिग–बैंग के बाद केवल हाइड्रोजन, हिलियम और लिथियम जैसे तत्व ही अस्तित्व में आए थे और जीवन पनपने के लिए जरूरी सभी तत्व और बाकी सभी मूल घटक एवं कार्बनिक अणु जो आज हम अपने चारों ओर देख रहे हैं, उनका निर्माण इन पहली पीढ़ी के तारों के बेहद गर्म कोर (केंद्र) में हुआ था।
और केवल एक ही तरीके से यह सभी तत्व और बुनियादी जीवन के मूल घटक एवं कार्बनिक अणु इन तारों के केंद्र से बाहर आ सकते थे। और वह तरीका था इन पहली पीढ़ी के तारों का महा–विस्फोट, जिसे हम सुपरनोवा के नाम से भी जानते हैं। इन तारों में महा–विस्फोट से बनने वाले विशालकाय सुपरनोवा से गैस और धूल के बादलों का निर्माण हुआ।
दूसरी पीढ़ी के तारों का जन्म–
जिसने जीवन पनपने के लिए जरूरी सभी तत्वों और बुनियादी जीवन के मूल घटकों एवं कार्बनिक अणुओं को इस विशाल ब्रह्मांड में हर तरफ फैला दिया। इन विशाल गैस और धूल के बादलों से हमारे सूर्य जैसे दूसरी पीढ़ी के तारों का जन्म हुआ। लेकिन इस बार बनने वाले तारे अकेले नहीं थे बल्कि इन तारों के चारों ओर पथरीले ग्रह इनका चक्कर लगा रहे थे।
मतलब बिग–बैंग से केवल कुछ बिलियन साल बाद ही और आज से लगभग 13.7 बिलियन सालों पहले हमारे ब्रह्मांड में जीवन के लिए जरूरी सभी तत्व और बुनियादी जीवन के मूल घटक एवं कार्बनिक अणु अस्तित्व में आ चुके थे।
बिग–बैंग के बाद निकली हुई ऊर्जा जब धीरे–धीरे खत्म होने लगी, तब हमारे ब्रह्मांड में गोल्डीलॉक्स के युग की शुरुआत हुई। यह वो समय था जब खाली ब्रह्मांड का तापमान आज की तरह शून्य से नीचे -270°C ना होकर हमारे आज के तापमान जितना 23°C हुआ करता था।
कई लाखों सालों तक हमारे ब्रह्मांड का औसत तापमान इतना ही बना हुआ था। यह वो समय था जब हमारे विशाल ब्रह्मांड में हर जगह पर जीवन पनप सकता था। यहां तक कि ऐसे पथरीले ग्रहों पर भी, जो अपने तारे को छोड़ कर अकेले इस विशाल अंतहीन ब्रह्मांड में भटक रहे हैं।
पृथ्वी से परे जीवन हो सकता है बुद्धिजीवी-
इस संबंध में वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वो सही समय हो सकता है जब हमारे ब्रह्मांड में पहले जीवन की उत्पत्ति हुई हो। मतलब एक ऐसा ग्रह जहां जीवन लगभग हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति के समान ही पुराना है,
ऐसे में हो सकता है कि यह जीवन हमारी पृथ्वी से काफी ज्यादा विकसित और उन्नत हो और एक पूरी की पूरी आकाशगंगा को नियंत्रित करने की ताकत रखता हो। लेकिन कई दशकों तक चले शोधों और खोजों के बाद भी हमें ऐसे किसी भी परग्रही सभ्यता (Alien Civilization) के कोई सबूत नहीं मिले हैं।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर यह परग्रही सभ्यता कहां है?, और हम अब तक इन्हें ढूंढ क्यों नहीं पाए हैं? वहीं यह भी हो सकता है कि हमारे ब्रह्मांड में भले ही जीवन का पनपना सामान्य हो लेकिन हम इंसानों की तरह बुद्धिजीवी जीवन बहुत ही कम।
हमारा ब्रह्मांड इतना विशाल है कि किसी विकसित और उन्नत सभ्यता को दूसरी सभ्यता से संपर्क करने के लिए और करोड़ों–अरबों सालों का समय लग सकता है। और यह भी हो सकता है कि इस विशाल ब्रह्मांड में हम अकेले हो और इस ब्रह्मांड में जीवन की शुरुआत हमारी पृथ्वी से ही हुई हो?
ऐसे में हमारे पास जीवन को इस विशाल ब्रह्मांड में फैलाने के लिए कई मिलियन व बिलियन सालों का समय है। तब तक हम हमारे सौर मंडल, दूसरे सौरमंडलों और आकाशगंगा में मौजूद दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज कर सकें और अगर वहां जीवन नहीं है तो वहां जीवन पहुंचा सकें।
हमारे ब्रह्मांड की उम्र–
अभी हमारे ब्रह्मांड की उम्र मात्र 13.8 बिलियन साल ही है और वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले करीब 01 लाख बिलियन सालों तक हमारा ब्रह्मांड ऐसा ही बना रहेगा। इसके बाद हमारे ब्रह्मांड की सारी ऊर्जा खत्म हो जाएगी और हमारे ब्रह्मांड का अंत हो जाएगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार लाल बौने तारे इस विशाल ब्रह्मांड में किसी प्रकार के जीवन को खोजने के लिए सबसे उपयुक्त जगहों में से एक हैं। लाल बौने तारे करीब 1,000 बिलियन सालों तक जीवित रह सकते हैं। इस दौरान यह अपनी कक्षा में मौजूद ग्रहों को बिलियन सालों तक ऐसे ही अपना प्रकाश और ऊर्जा देते रहते हैं।
इन लाल बौने तारों की कक्षा में मौजूद ग्रहों पर किसी प्रकार का जीवन पनपने की सबसे ज्यादा संभावनाएं मौजूद हैं क्योंकि जीवन को पनपने के लिए एक स्थायी परिस्थितियों की आवश्यकता होती है और इन लाल बौने तारों के आसपास जीवन के लिए जरूरी मूल घटकों की उत्पत्ति की परिस्थिति कई लाखों–करोड़ों सालों तक बनी रह सकती है।
लेकिन इन लाल बौने तारों के साथ कई खामियां भी हैं। ये तारे बेहद ही बड़ी मात्रा में और असामान्य ढंग से खतरनाक Solar flare यानी तेज प्रकाश/रोशनी छोड़ते हैं जो कि इनकी कक्षा में मौजूद ग्रहों पर रह रही सभ्यता को एक पल में ही खत्म करने की क्षमता रखता है।
साथ ही इन तारों की ऊर्जा हमारे सूर्य जैसे तारों से काफी कम होती है। जिस कारण किसी सभ्यता को इनके रहने लायक क्षेत्र में रहने के लिए इन लाल बौने तारों के काफी पास मौजूद रहना होगा।
लेकिन तब एक और नई समस्या उत्पन्न होगी क्योंकि ज्यादा नजदीक होने के कारण के ग्रह अपने तारे के चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव से प्रभावित या लॉक हो सकता है। जिससे उस ग्रह का एक छोर हमेशा अपने तारे की तरफ रहेगा और दूसरे छोर पर हमेशा अंधेरा ही बना रहेगा।
मतलब उस ग्रह का एक पक्ष अधिक गर्म होगा तो दूसरा पक्ष ठंडा, जहां जीवन के पनपने की संभावना बेहद कम होगी। लेकिन… हमारी धरती(पृथ्वी) पर जीवन की उत्पत्ति ने हमें बताया कि जीवन किसी भी परिस्थिति और माहौल में पनपने और अपने आपको विकसित करने में सक्षम है।
ऐसा भी हो सकता है कि लाल बौने तारों की कक्षा में मौजूद सैकड़ों ग्रहों में से किसी ग्रह पर एक अत्यधिक उन्नत सभ्यता विद्यमान हो, जो कि कई बिलियन सालों से यहां मौजूद हो। लेकिन अभी तो हमारे ब्रह्मांड के बस शुरुआत ही हुई है।
बिग–बैंग के बाद ब्रह्मांड का विस्तार–
हमारा ब्रह्मांड बिग–बैंग के बाद से ही बेहद तेज गति से फैल रहा है और हमसे काफी दूर मौजूद तारे हमसे और भी दूर जा रहे हैं। ऐसे में हो सकता है कि एक समय ऐसा भी आए जब हमारा आकाश जो कि अभी तारों से भरा हुआ दिखाई देता है वह हमेशा के लिए काला हो जाए।
और हो सकता है कि हमसे कई सालों बाद जन्म लेने वाली सभ्यताएं आश्चर्यचकित होंगी कि आखिर हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति के शुरुआती दिनों में रहना कैसा रहा होगा? जब सारा आकाश अनगिनत तारों से भरा हुआ होता था और हम हमारे ब्रह्मांड की शुरुआत के बाद निकले ब्रह्मांडीय तारों को देखने में सक्षम थे।
वह हमारी तरह ही कभी नहीं जान पाएंगे कि आखिर हमारे ब्रह्मांड की शुरुआत कैसे हुई थी? क्योंकि तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। या फिर वे अपने विज्ञान को इतना विकसित कर लेंगे कि पृथ्वी ग्रह जैसा ग्रह जिस पर जीवन है को ढूंढ पाने में सक्षम हो सकेंगे।
हम बेहद नसीब वाले हैं कि हम एक ऐसे साल में पैदा हुए हैं कि जब हमारा सारा आकाश हमारे सूर्य के साथ कई तारों से भरा हुआ दिखाई देता है। साथ ही हम हमारे ब्रह्मांड की शुरुआत यानी बिग–बैंग का वैज्ञानिक अध्ययन करने में भी सक्षम हैं।
आप भी इस समय का मजा लीजिए, रात में आकाश की ओर नजर घुमाइए और अपने आकाश के तारों को जी भर के देखिए। क्या पता इन तारों का चक्कर लगा रहे किसी ग्रह में मौजूद कोई और भी आपको ऐसे ही देख रहा हो।
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अंतिम में–
अंतिम में बस यही कहना चाहूंगा कि ब्रह्मांड से जुड़े कुछ सवालों के जवाब आपको इस Article में जरूर मिले होंगे। साथ ही पृथ्वी पर जीवन क्यों संभव है? इसके बारे में भी आप अपना मत Comment Box में जरूर लिखें। उम्मीद करता हूँ कि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी। इस प्रकार की और जानकारी पाने के लिए आप हमारी वेबसाइट को Subscribe जरूर करें,
नीचे कुछ प्रश्न दिए है जिनका उत्तर देकर आप अपनी जिज्ञासाओं को और उन्नत बना सकते हैं जो आपकी सामान्य जानकारी में और इजाफा कर देगा। इन प्रश्नों के उत्तर कृपया Comment Box में लिखें—–
- पृथ्वी के अलावा और किस ग्रह पर जीवन संभव है या भविष्य में संभव हो सकता है? (इसमें आपको संभावना बतानी है.)
- पृथ्वी का आकार कैसा है? और कितने अंश पर झुकी है?
- क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है? (इसमें आपको संभावना बतानी है.)
- हम किस ग्रह पर रहते हैं?
- पृथ्वी के गर्भ का तापमान कितना है?
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