बृहस्पति ग्रह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह | Giant Planet Jupiter

बृहस्पति ग्रह के बारे में पूरी जानकारी, रोचक तथ्य

बृहस्पति (अंग्रेजी नाम– Jupiter (जुपिटर)) हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसका नाम रोमनों की पौराणिक कथाओं में उल्लिखित देवताओं के राजा के नाम पर रखा गया था। प्राचीन यूनानियों ने इस ग्रह का नाम देव समूहके राजा ज़ीउस (Zeus) के नाम पर रखा था

साथ ही भारत के हिन्दू पुराणों में बृहस्पति को देवगुरु (देवताओं का गुरु) कहा गया है। बृहस्पति ग्रह हमारे सौरमंडल में सूर्य से 5वे स्थानपर अवस्थित है, साथ ही यह पृथ्वी से 300 गुना अधिक विशाल है।

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बृहस्पति ग्रह की सतह हाइड्रोजन गैस की मोटी परत से बनी होने के कारण, बृहस्पति को गैसीय ग्रह कहा जाता है। ग्रह के भीतरी भाग या गहराई में गैसों का दबाव इतना बढ़ जाता है कि हाइड्रोजन गैस तरल और फिर धातु मेंबदल जाती है। हाइड्रोजन के समुद्रों के नीचे बृहस्पति का चट्टानों से बना एक चट्टानी कोर है जो लगभग हमारी पृथ्वी के आकार के बराबर हो सकता है।

बृहस्पति ग्रह का इतिहास

बृहस्पति ग्रह के इतिहास ने खगोलविदों और वैज्ञानिकों को हमेशा से आश्चर्यचकित किया है. सन 1610 में जब इटली के मशहूर खगोल विज्ञानी गैलीलियो गैलीली ने अपनी छोटी सी दूरबीन से पृथ्वी से परे सबसे पहला चंद्रमा खोजा। 

उनकी इस खोज ने हमारा ब्रह्मांड को देखने का नजरिया ही बदल दिया। गैलीलियो ने अपनी दूरबीन से बृहस्पति ग्रह के 04 बड़े चंद्रमाओंआई00 (Io), यूरोपा(Europa), गेनीमेड(Ganymede) और कैलिस्टो (Callisto) की खोज की, जिन्हें अब हम गैलीलियन चंद्रमाओं के रूप में जानते है।

यह पहली बार था जब किसी आकाशीय पिंड को पृथ्वी के अलावा किसी अन्य वस्तु का चक्कर या परिक्रमा लगाते हुए देखा गया था, गैलीलियो की इस खोज ने निकोलस कोपरनिकस के उस दृष्टिकोण को प्राथमिकता पर समर्थन दिया किब्रह्मांड का केंद्र पृथ्वी नहीं है। 

क्रमानुसार सूर्य से 5वें स्थान पर मौजूद बृहस्पति ग्रह हमारे सौरमंडल का अब तक का सबसे विशाल ग्रह है. यह सौरमंडल के बाकी सभी ग्रहों से दोगुने से भी अधिक विशाल है।

टेलिस्कोप से देखने पर हमें बृहस्पति ग्रह पर पट्टियां या धारियों के साथ भंवर (साइक्लोन) भी दिखाई देते हैं, जो वास्तव में हाइड्रोजन और हीलियम से बने वातावरण में, तैरते हुए अमोनिया और पानी के बादल हैं। 

बृहस्पति ग्रह के अब तक ज्ञात 79 चंद्रमा है। साथ ही बृहस्पति के पास कई छल्लेया वलय (rings) भी हैं, जो शनि ग्रह के वलयों की तुलना में काफी हल्के हैं, और जिनकी पुष्टि गौर से देखने के बाद ही होती है क्योंकि बृहस्पति के छल्ले या वलय धूल से बने हैं.

आंतरिक संरचना व कोर-

बृहस्पति ग्रह की संरचना काफी हद तक सूर्य के समान हाइड्रोजन औरहीलियम से बनी है। इसके वायुमंडल में दबाव के साथ तापमान में वृद्धि के कारण, यहां हाइड्रोजन गैस तरल रूपमें बनी रहती है। जिस कारण बृहस्पति ग्रह पर सौरमंडल का सबसे बड़ा पानी के बजाय हाइड्रोजन से बना महासागर मौजूद है। 

वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि, सतह से केंद्र की ओर आधे रास्ते पर, दबाव इतना बढ़ जाता होगा, जिससे हाइड्रोजन के परमाणु धातु कीतरह बर्ताव करते हों या धातु में बदल जाते हों।

शोधकर्ताओं द्वारा ऐसा अनुमानित है कि बृहस्पति की तेज घूमने की प्रक्रिया से इस क्षेत्र(केंद्र की ओर आधे रास्ते पर) में विद्युत धाराएं चलने के साथ गरज, चमक और गड़गड़ाहट उत्पन्न होती हो, जिससे ग्रह का शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। 

यह अभी भी स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है कि बृहस्पति के पास ठोस सामग्री का एक केंद्रीय कोर है, जिसका तापमान लगभग 50,000 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है, जो ज्यादातर लोहे और सिलिकेट (क्वार्ट्ज पत्थर के समान) से बना है।

हालांकि वैज्ञानिकों ने बृहस्पति ग्रह की आंतरिक संरचना में एक घने चट्टानी कोर की संभावना व्यक्त की है, जो कि द्रव धातु हाइड्रोजन और हीलियम की समृद्ध परत से घिरा हुआ हो सकता है, जो ग्रह के व्यास के 80% से 90% तक फैला हुआ हो सकता है.

बृहस्पति ग्रह के ऊपरी वायुमंडल पर दिखने वाले गहरे रंग के बैंड (पट्टीयां) 539 किमी/घंटा से भी तेज पूर्व से पश्चिम की ओर चलने वाली हवाओं द्वारा बनाए गए हैं।

साथ ही कुछ क्षेत्रों में सफेद बादल हैं जो जमे हुए अमोनिया और पानी से बने हो सकते हैं, जबकि सबसे गहरे देखे गए स्तरों पर नीले बादल मौजूद हैं, जो अन्य तत्वों से बने हो सकते हैं। समय के साथ ग्रह के बादलों की पट्टीयां या धारियां बदल जाती हैं ।

ग्रहीय विशेषता

गैसीय ग्रह बृहस्पति अपने मेजबान तारे (सूर्य) से आकर में कुछ ही गुना छोटा है, जब सौरमंडल का निर्माण को रहा था तो यदि बृहस्पति ग्रह अपने आकार को लगभग 80 गुना बढ़ा लेता तो, यह वह वास्तव में सूर्य के आकार के बराबर हो जाता 

और तब इसे मात्र एक ग्रह न मानकर एक तारे की श्रेणी में रखा या मान लिया जाता क्योंकि बुध और शुक्र ग्रह के बाद तीसरा सबसे चमकने वाला ग्रह बृहस्पति ही है।

बृहस्पति ग्रह इतना विशाल है कि इसमें लगभग 1300 से अधिक पृथ्वीयां समां सकती है, मतलब अगर मान लीजिये कि बृहस्पति ग्रह एक बास्केटबॉल के आकार का है, तो इसके सामने हमारी पृथ्वी एक मटर के दाने के आकार के बराबर होगी।

आकार और दूरी

बृहस्पति ग्रह पृथ्वी के आकार से11 गुना चौड़ा है इसकी त्रिज्या लगभग 69,911 किलोमीटर की है। बृहस्पति ग्रह सूर्य से 5.2 खगोलीय इकाई(Astronomical Unit- AU) दूर है।  

यहां 01 खगोलीय इकाई से आशय है- सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में लगी दूरी। सूर्य के प्रकाश को बृहस्पति तक पहुंचने में 43 मिनट का समय लग जाता है।

  • बृहस्पति ग्रह की सूर्य से औसत दूरी- 778,412,020 किलोमीटर।
  • पेरिहेलियन(सूर्य के सबसे निकट की दूरी)- 740,742,600 किलोमीटर।
  • अपहेलियन(सूर्य से सबसे दूर की दूरी)- 816,081,400 किलोमीटर।

बृहस्पति ग्रह का एक दिन सौरमंडल के अन्य ग्रहों की तुलना में सबसे छोटा होता है। बृहस्पति को अपना एक दिन (बृहस्पति को एक बार घूमने में) पूरा करने के लिए लगभग 9.50 घंटे लगते हैं। यह अपने कक्षीय पथ में केवल 3 डिग्री झुका हुआ है मतलब बृहस्पति लगभग सीधा घूमता है।

बृहस्पति ग्रह पर मौसम

बृहस्पति ग्रह की सतह पर मौसम के बड़े नाटकीय परिवर्तनदेखने को मिलते हैं, इस ग्रह पर बड़े पैमाने पर जहरीली हवा, वायुमंडलीय गरज, बिजली और तूफान देखने को मिलते हैं जो कि बहुत खतरनाक और विनाशकारी है। 

बृहस्पति पर एक तूफान, जिसे विशाल लाल धब्बा (ग्रेट रेड स्पॉट) कहा जाता है, जो कि पृथ्वी के आकार से 03 गुना बड़ा है, पिछले सैकड़ों वर्षों से चल रहा है।

जिसने खगोल विज्ञानियों और बृहस्पति ग्रह पर शोध करने वालों को अपनी ओर आकर्षित कर रखा है. अब प्रश्न उठता है कि बृहस्पति ग्रह पर उठने या चलने वाले तूफानों को ऊर्जा या शक्ति कहां से मिलती है? तो इसका उत्तर है कि बृहस्पति के तूफानों को शक्ति देने वाली ऊर्जा सूर्य से नहीं है, बल्कि बृहस्पति द्वारा स्वम् उत्पन्न विकिरण से है।

विशाल लाल धब्बा (The Great Red Spot)-

बृहस्पति ग्रह पर पिछले कई वर्षों एक लाल रंग का धब्बा या निशान दिखाई दे रहा है जिसे हम टेलिस्कोप की मदद से आज भी देख सकते हैं, जिसने बृहस्पति ग्रह को एक असाधारण विशेषता देने के साथ शोधकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रखा है। 

असल में वैज्ञानिकों ने जब इस लाल निशान को गौर से देखा तो पता चला कि यह लाल धब्बा, भंवर की तरह का एक तूफान है, जो लगभग पिछले 300 से अधिक वर्षों से इस ग्रह पर चल रहा है। वैज्ञानिकों ने इस तूफान को “विशाल लाल धब्बा (The Great Red Spot)” का नाम दिया गया है।

इस विशाल लाल धब्बे (ग्रेट रेड स्पॉट) का आकार, पृथ्वी के आकार का लगभग 02 गुना है, और यह लगभग430 से 680 किमी/घंटे की गति से अपने केंद्र के चारों ओर वामावर्त दिशा में घूम रहा है। 

इसका रंग ईंट जैसा लाल और थोड़ा सा भूरा दिखाई देता है, वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तूफान की गति आने वाले 100 वर्षों में कुछ धीमी हो सकती है।

बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र

बृहस्पति ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र हमारे सौरमंडल के सभी ग्रहों में सबसे मजबूत और ताकतवर है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र से तुलना करने पर लगभग 20,000 गुना अधिक ताकतवर है। बृहस्पति ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र विद्युत आवेशित कणों और अन्य विद्युत आवेशित इलेक्ट्रोनों को अपनी ओर तीव्रता से खींचता है 

जो ग्रह के चंद्रमाओं, छल्ले या वलयों और किसी भी जीवन के लिए 1,000 गुना से अधिक घातक है। साथ ही किसी भी अंतरिक्ष यान को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्याप्त है।

बृहस्पति का चुंबकीय क्षेत्र सूर्य की ओर लगभग01 मिलियन से 03 मिलियन किलोमीटर की दूरी तक फैला हुआ है और ग्रह के पीछे लगभग01 बिलियन किलोमीटर से भी अधिक की दूरी तक पूंछ की तरह फैला हुआ है। 

बृहस्पति सौरमंडल के किसी भी अन्य ग्रह की तुलना में तेजी से घूमता है, पृथ्वी के 24 घंटे की तुलना में यह अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा करने में 10 घंटे से थोड़ा कम समय लेता है। तेजी से घूमने के कारण बृहस्पति ग्रह के आकार में कुछ परिवर्तन दिखाई देते है, यह भूमध्य रेखा पर उभार लिए और ध्रुवों पर चपटा दिखाई देता है।

बृहस्पति के चंद्रमा (उपग्रह)-

1610 में गैलीलियो गैलीली द्वारा खोजे गए 04 चंद्रमाओं (जिन्हे गैलीलियन चंद्रमा भी कहा जाता है) से अभी तक कुल 79 चंद्रमा खोजे जा चुके हैं। हमारे सौरमण्डल में उपग्रहों की श्रेणी में बृहस्पति ग्रह दूसरे स्थान पर आता है, पहले स्थान पर शनि ग्रह है, 

जिसके सबसे ज्यादा कुल 82 चंद्रमा(उपग्रह) हैं (उपग्रह जो अपने मेजबान ग्रह की परिक्रमा करते हैं)। बृहस्पति के गैलीलियन चंद्रमा- आई0ओ0 (Io), गेनीमेड (Ganymede), यूरोपा (Europa) और कैलिस्टो(Callisto) वैज्ञानिकों को अपनी ओर आकर्षित कर रखा है।

  1. आई0ओ0 (Io)- बृहस्पति ग्रह का यह उपग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे ज्वालामुखीय रूप से सबसे सक्रिय पिंड है। इसके ज्वालामुखियों से बाहर आते सल्फर के कारण इसकी सतह पर पीले और नारंगी रंग के धब्बे दिखाई देते है। वैज्ञानिकों द्वारा इसके तापमान में बड़े बदलाव देखे गए हैं, इसका तापमान न्यूनतम 130 डिग्री सेल्सियस से अधिकतम 1,649 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है।
  2. गेनीमेड (Ganymede)-बृहस्पति ग्रह का यह उपग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा(उपग्रह) है, इसका व्यास लगभग 5,268 किमी है, आकार में यह बुध और प्लूटो ग्रह से बड़ा है। जुपिटर के इस चंद्रमा (उपग्रह) के पास अपना खुद का चुंबकीय क्षेत्रहै। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस उपग्रह पर बर्फ की परतों के नीचे पानी का एक भण्डार, महासागर के रूप में हो सकता है.
  3. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) ने अंतरग्रहीय अंतरिक्ष यान जुपिटर आइसी मून एक्सप्लोरर(Jupiter Icy Moon Explorer- JUICE) विकसित करने के चरण में है, जो 2022 में लॉन्च होने वाला है यह 2030 तक बृहस्पति के सिस्टम में पहुंच जाएगा, इसका मुख्य लक्ष्य बृहस्पति के उपग्रहोंपर पानी को खोजना है।
  4. यूरोपा (Europa)-बृहस्पति ग्रह के इस उपग्रह की सतह ज्यादातरबर्फ से बनी परतों से ढकी हुई है, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इसकी बर्फीली परतों के नीचे तरलपानी का महासागर छिपा हो सकता है, जो कि पृथ्वी की तुलना में 02 गुना हो सकता है।
  5. कैलिस्टो(Callisto)- यह बृहस्पति का दूसरा और सौरमंडल का तीसरा सबसे बड़ा चन्द्रमा (उपग्रह) है। इसका व्यास लगभग 4,820 किमी है, इसकी संरचना पत्थर और बर्फ़ की लगभग बराबर मात्रा से बनी है, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसके पास एक चट्टानी कोर हो सकता है।

अनुसंधान और अन्वेषण-

बृहस्पति की ओर पृथ्वी से अभी कुल 09 मिशन अनुसंधान और अन्वेषण के लिए भेजे गए हैं- पायनियर 10 (Pioneer 10), पायनियर 11 (Pioneer 11), वोयजर 1(Voyager 1), वोयजर 2 (Voyager 2), यूलिसिस (Ulysses), कैसिनी-हयूगेन्स (Cassini–Huygens), न्यू होराइजन्स(New Horizons), गैलीलियो (Galileo) और जूनो(Juno)। 

  1. नासा ने जूनो मिशन 5 अगस्त2011 को ग्रह की परिक्रमा के लिए प्रक्षेपित किया था। 4 जुलाई, 2016 को जूनो ने बृहस्पति के आर्बिट में प्रवेश किया। इसका लक्ष्य बृहस्पति और उसके चंद्रमाओं का अध्ययन करना है।
  2. पायनियर 10-1973 में नासा द्वारा प्रक्षेपित, बृहस्पति पर शोध के लिए सबसे पहला अंतरिक्ष यान था। इसने बृहस्पति ग्रह की विकिरण का पता लगाया, साथ ही ग्रह की विकिरण कितनी विनाशकारी है, इसका भी पता लगाया।
  3. पायनियर 11- 1974 में नासा द्वारा प्रक्षेपित दूसरे इस अंतरिक्ष यान ने विशाल लाल धब्बा (The Great Red Spot) और ग्रह के ध्रुवों पर अध्ययन किया।
  4. वोयजर 1 और2- 1979 में नासा द्वारा प्रक्षेपित दोनों अंतरिक्ष यानों ने शोधकर्ताओं को गैलीलियन उपग्रहों (चंद्रमाओं) के विस्तृत नक्शे बनाने में मदद की, बृहस्पति के छल्लों का पता लगाया, साथ ही आई0ओ0 (Io) पर सल्फर उगलने वाले ज्वालामुखियों का भी पता लगाया। 
  5. यूलिसिस- 1990 में नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) द्वारा प्रक्षेपित इस अंतरिक्ष यान ने यह पाया कि सौरहवा का बृहस्पति के चुम्बकीय मंडल पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
  6. न्यू होराइजन्स- 2006 में नासा द्वारा प्रक्षेपित इस अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति और चंद्रमाओं तस्वीरेंइकट्ठा करने का काम किया।

गैलीलियो ने 1989 में नासा द्वारा प्रक्षेपित इस अंतरिक्ष यान ने सबसे पहले बृहस्पति की परिक्रमा की और ग्रह पर चलने या उठने वाले तूफानी बादलों की वायुमंडलीय जांच का काम किया। जिससे ग्रह के वायुमंडल का पहला माप निर्धारित हो पाया, नासा के इस मिशन ने ग्रह पर मौजूद पानी, क्रिस्टलों और अन्य रसायनों की मात्रा का पता लगाया।

  • जूनो- 2011 में नासा द्वारा प्रक्षेपित एक मात्र अंतरिक्ष यान है जो अभी जुपिटर पर अध्ययनकर रहा है। यह बृहस्पति का अध्ययन ध्रुवीय कक्षा से करता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि बृहस्पति ग्रह में कोई चट्टानी कोर मौजूद है भी या नहीं।

बृहस्पति के छल्ले या वलय

नासा के वोयजर 1 अंतरिक्ष यान ने बृहस्पति ग्रह के भूमध्य रेखाके चारों ओर 03 छल्लों या वलयों की खोज की। जुपिटर के छल्ले, रिंग्स या वलय, शनि के छल्लों की तुलना में बहुत कमजोर हैं क्योंकि यह धूल से बने हैं, जबकि शनि के छल्ले बर्फ के। 

बृहस्पति ग्रह का मुख्य छल्ला लगभग30 किमी0 मोटा और 6,400 किमी0 से अधिक चौड़ा व चपटा है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बृहस्पति ग्रह के छल्ले क्षुद्रग्रहों के विस्फोट से बने मलबे के संकेत हो सकते हैं ।

कैसे बृहस्पति ग्रह ने हमारे सौरमंडल को आकार दिया-

शोधकर्ताओं का मानना है कि सूर्य के बादसबसे विशाल ग्रह बृहस्पति ने हमारे सौरमंडल को आकार देने में मदद की हो। बृहस्पति अपने मजबूत गुरुत्वाकर्षण की मदद से पृथ्वी को क्षुद्रग्रहों(उल्का और धूमकेतुओं) से बचाने में भी मदद करता है, और हाल की घटनाओं सेपता चला है कि जुपिटर कुछ विशेष प्रभावों को अपनी ओर दृणतासे खींच सकता है ।

हालांकि बृहस्पति का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र कई सारे क्षुद्रग्रहों को प्रभावित करता है जो सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में बृहस्पति से पहले और बाद के क्षेत्रों में मौजूद हैं। इन्हें ट्रोजन क्षुद्रग्रह के नाम से जाना जाता है।

जीवन के लिए संभावित

क्या बृहस्पति पर जीवन हो सकता है? जैसा कि हम जानते हैं, बृहस्पति के वातावरण में जीवन के अनुकूलन के लिए पर्याप्त परिस्थितियाँनहीं है। यहां के वातावरण में दबाव के साथ गैसीय विवधता है, जो इस ग्रह की मुख्य विशेषता भी है, जो जीवन के अनुकूलन या जीवन पनपने के लिए बहुत अधिक अस्थिर व अनियमित है। 

अभी तक किसी अन्तरिक्ष यान के अध्ययन में बृहस्पति पर जीवन का कोई लक्षण नहीं पाया है।जबकि इसके कई चंद्रमाओं में से कुछ पर जीवन की उत्पत्ति संभव हो सकती है। यूरोपा! जो कि बृहस्पति का एक उपग्रह (चंद्रमा) है, 

वैज्ञानिकों ने सौरमंडल में जीवन खोजने के लिए इसे एक संभावित स्थानों के रूप में चिन्हित किया है। अन्वेषणों से पता चला है कि यूरोपा की बर्फ से ढकी परतों के ठीक नीचे पानी का एक विशाल महासागर मौजूद है, जो संभवतः जीवन की मौजूदगी का एक द्योतक हो सकता है।

बृहस्पति ग्रह के बारे में रोचक तथ्य

  • बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमा (गैलीलियन उपग्रह) IO, यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो हैं।
  • बृहस्पति हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है जो पृथ्वी के आकार का लगभग 11 गुना चौड़ा और द्रव्यमान का 317 गुना है।
  • बृहस्पति का नाम प्राचीन रोमन देवताओं के राजा के नाम पर पड़ा। रोमन पौराणिक कथाओं में, बृहस्पति देवताओं का राजा और आकाश का देवता था।
  • अपने बड़े आकार होने के बावजूद, बृहस्पति का दिन सौरमंडल के किसी भी अन्य ग्रह की तुलना में सबसे छोटा है, इसका एक दिन मात्र 10 घंटे का होता है।
  • सूर्य के समान, बृहस्पति ग्रह भी ज्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। सौरमंडल का सबसे बड़ा तरल हाइड्रोजन का महासागर बृहस्पति पर हो सकता है।
  • यह सौरमंडल का सबसे तेज घूमने वाला ग्रह है, इसके पास भी शनि ग्रह कि तरह 03 धूल से बने कमजोर छल्ले या वलय हैं।
  • इसका एक अत्यंत मजबूत चुंबकीय क्षेत्र है जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से 14 गुना से अधिक मजबूत है।
  • पृथ्वी से देखने पर यह आकाश में चमकने वाली तीसरी सबसे चमकीली वस्तु है।

संक्षिप्त विवरण

  • चंद्रमा: अभी तक ज्ञात कुल 79 उपग्रह (चंद्रमा)
  • द्रव्यमान: पृथ्वी के द्रव्यमान से 317 गुना अधिक
  • व्यास: 142,984 किमी0
  • एक वर्ष: 11.9 पृथ्वी वर्ष
  • एक दिन: 9.50 घंटे
  • तापमान: न्यूनतम (माइनस) -108°C, अधिकतम1649°C
  • सूर्य से दूरी: सूर्य से 5वां ग्रह, 779 मिलियन किमी0
  • ग्रह का प्रकार: विशाल गैसीय ग्रह (ज्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम से बना)

बृहस्पति संबंधी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्न-

प्रश्न- बृहस्पति के उपग्रहों की संख्या कितनी है या बृहस्पति ग्रह के कितने चन्द्रमा है?

उत्तर- बृहस्पति के उपग्रहों (चंद्रमाओं) की संख्या अभी तक ज्ञात 79 है।

प्रश्न- बृहस्पति पृथ्वी से कितना गुना बड़ा है?

उत्तर- बृहस्पति पृथ्वी से 11 गुना चौड़ा और 317 गुना अधिक द्रव्यमान वाला ग्रह है, इसमें लगभग 1300 से अधिक पृथ्वीयां समां सकती है।

प्रश्न- बृहस्पति ग्रह की सूर्य से दूरी कितनी है?

उत्तर- बृहस्पति ग्रह की सूर्य से दूरी 779 मिलियन किलोमीटर है।

प्रश्न- सौरमंडल का सबसे भारी ग्रह कौन सा है?, सौरमंडल का सबसे विशाल ग्रह कौन सा है?

उत्तर- सौरमंडल का सबसे भारी और विशाल ग्रह बृहस्पति ही है, इसका द्रव्यमान और आकार सौरमंडल में मौजूद सभी ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना अधिक है।

प्रश्न- पृथ्वी से बृहस्पति की दूरी कितनी है?

उत्तर- बृहस्पति ग्रह से पृथ्वी की दूरी लगभग 640.91 मिलियन किलोमीटर है।

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अंत में-

विशाल गैसीय ग्रह बृहस्पतिने अपने ताकतवर गुरुत्वाकर्षण की मदद से हमारे सौरमंडल को बनाने और बचाए रखने में अपना अहम किरदार पिछले लाखों सालों से निभा रहा है और आगे भी निभाता रहेगा।

आशा करता हूं कि आपको बृहस्पति से संबंधित कई जानकरियों जरूर मिली होंगी, यदि कुछ छूट गया हो तो कृपया comment box में जरूर लिखें, समय के साथ इस लेख बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रहको अपडेट किया जाता रहेगा। 

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