ब्रह्मांड के मूल रंग की अवधारणा
जब आप रात के आसमान की ओर देखते हैं, तो यह सोचना बहुत आसान हो जाता है कि ब्रह्मांड कालेपन का कभी न खत्म होने वाला समुद्र है। लेकिन वहीं अगर आप सभी चमकदार आकाशीय पिंडों से दृश्यमान प्रकाश को मापने की कोशिश करते हैं, तो ब्रह्मांड का औसत रंग भिन्न-भिन्न दिखाई देता है, तो अब प्रश्न उठता है कि आखिर मूल रूप से ब्रह्मांड का रंग क्या है या होगा?
क्या हमारा ब्रह्मांड जो हमें काले रंग का दिखाई देता है असल में वह मूल रूप से काला है भी या नहीं? रंगों की पहचान हम कैसे करते है? देखा जाए तो हम अपनी मौलिक समझ से जब भी किसी चीज या वस्तु की झलक देखते है तो हमें उस चीज या वस्तु के रंग, आकार और आयाम दिखाई देते हैं,
जिनका आंकलन लगाकर हम उस वस्तु की पहचान आसानी से करते हैं। पर हमारी मैलिक समझ में तब गलतियां होने की सम्भावना बढ़ जाती है जब पृथ्वी से परे किसी चीज को देखकर उसकी गणना और आंकलन की कोशिश की जाए।
ब्रह्मांड का रंग क्या है? | The Color of the Universe |
आज भी हमारा ब्रह्मांड अपने अन्दर कई रहस्यों को समेटे हुए इन्तजार में है कि कोई खोजकर्ता उसके रहस्यों को परत दर परत कर सुलझाए या सुलझाने की कोशिश करें। इसी क्रम में आज हम ऐसे ही एक प्रश्न जैसे “ब्रह्मांड का मूल रंग क्या है?” का जवाब खोजने की कोशिश करेंगे। तो बिना समय गंवाए चलिए शुरू करते हैं-
ब्रह्मांड का रंग-
यू.के. में लिवरपूल जॉन मूरेस यूनिवर्सिटी एस्ट्रोफिजिक्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक शिक्षक इवान बाल्ड्री के मुताबिक “काला (डार्क) कोई एक रंग नहीं है।” देखा जाए तो “काला (डार्क/अंधेरा) केवल बोधगम्य प्रकाश की कमी है।”
रंग हमें तब दिखाई देते हैं या रंगों की पहचान तब होती है जब किसी पिंड अथवा चीज पर प्रकाश की किरणें पड़ती हैं। परावर्तन सिद्धांत के अनुसार हम जानते हैं की प्रकाश की एक किरण में मूल रूप से 07 रंगों का समावेश होता है।
जिसकी पहचान प्रिज्म के माध्यम से आसानी से की जा सकती है। वहीं सामान्य रूप से जब किसी पिंड या वस्तु पर प्रकाश की किरणें पड़ती है तो वह पिंड या वस्तु मूल रूप से जिस रंग की होती है प्रकाश किरण से उस रंग को अवशोषित कर लेती है शेष बाकी सभी रंगों को परावर्तित (Reflect) कर देती है।
रंगों के अवशोषण और परावर्तन के कारण ही किसी भी पिंड या वस्तु का रंग निर्धारित किया जाता है। लेकिन यह सिद्धांत ब्रह्मांड का रंग पता लगाने में विफल हो जाता है।
क्योंकि अगर काले रंग पर प्रकाश की किरण पड़ते ही कोई परावर्तन नहीं होता, तो क्या मान लिया जाए कि काला रंग ही उत्पत्ति का आधार है? अगर हां तो ब्रह्मांड में बाकी रंगों की आवश्यकता क्या है?
असल में रंगों के सम्बन्ध में वैज्ञानिको का मानना है काला कोई रंग है ही नहीं क्योकि किसी भी अन्य रंग से बने पिंड या वस्तु को अगर गुप्प अंधेरे में रखकर देखा जाए तो वह वस्तु हमें काले रंग की ही दिखाई देगी।
इससे साबित हो जाता है कि काला रंग वास्तव में रंग नहीं अपितु प्रकाश रहित छायांकन पृष्ठ मात्र है। इसी अवधारणा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ब्रह्मांड का रंग भी पूरी तरह से कालानहीं हो सकता.
साल 2002 में, ऑस्ट्रेलिया में स्वाइनबर्न प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स एंड सुपरकंप्यूटिंग में एक मान्यता प्राप्त शिक्षक, बाल्ड्री और कार्ल ग्लेज़ब्रुक ने द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में वितरित एक परीक्षा का सह-निर्देशन किया,
जो कि बड़ी संख्या में प्रणालियों से आने वाले प्रकाश को जानबूझकर समेकित करता है। यह एक विशेष श्रेणी में है जिसने पूरे ब्रह्मांड को संबोधित किया। ऐसा करने में, जोड़ी और उनके सहयोगियों के पास ब्रह्मांड की सामान्य छाया का पता लगाने का विकल्प था।
ब्रह्मांड कैसे बना-
हमारा ब्रह्मांड कैसे बना या ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई? इसको परिभाषित करने के लिए कई अवधारणाए दी गई हैं लेकिन सबसे व्यापक अवधारणा है बिग-बैंग थ्योरी। बिग बैंग थ्योरी के अनुसार ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक सूक्ष्म/छोटे से बिंदु में महाविस्फोट के बाद हुई सृष्टि से मानी जाती है।
यह महाविस्फोट करीब 14.8 अरब साल पहले का माना जाता है, इस महाविस्फोट को ही बिग बैंग कहा जाता है। बिग बैंग के बाद निकले मलबे से हमारे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है।
सभी चीजें जैसे-आकाशगंगा, सौरमंडल, तारे, धूमकेतु, खगोलीय पिंड, उल्का, ग्रह और उपग्रह जिन्हें हम अपनी आँखों से आसानी से देख सकते हैं एक ब्रह्मांड के अंतर्गत ही आती हैं।
लेकिन जिन चीजों को हम देख नहीं सकते, तो क्या वो चीजें हमारे ब्रह्मांड में अपना अस्तित्व नहीं रखती? ऐसा नहीं है क्योंकि हम इन्सान अभी भी ब्रह्मांड में मौजूद कई चीजों और तथ्यों से अनिभिज्ञ हैं,
पर जैसे-जैसे हम अपने आपको उन्नत बना रहे हैं, ब्रह्मांड के कई रहस्य परत दर परत सुलझते जा रहे हैं। पर अभी भी हम नहीं जाते हैं कि हमारे ब्रह्मांड का वास्तविक रंग क्या है?
ब्लैक होल की खोज-
अभी हाल में ब्रह्मांड भौतिकशास्त्री सर स्टीफन हाकिंग ने ब्रह्मांड पर गहनता से अध्ययन करने के बाद ब्लैक होल की खोज की है। ब्लैक होल जहां का गुरुत्वाकर्षण इतना सघन और दृण (मजबूत) होता है कि इसके संपर्क में आने वाली कोई भी चीज इससे बच नहीं सकती, यहां तक कि प्रकाश भी इससे बच नहीं पाता।
अब प्रश्न उठ खड़ा होता है कि अगर प्रकाश (जो हमारे ब्रह्मांड की सबसे तेज गति लगभग 03 लाख किमी0/सेकेंड है) भी इससे बच नहीं पाता है तो ब्लैक होल का पता कैसे लगाया गया? असल में ब्लैक होल के इर्द-गिर्द एक प्रकाश मंडल मौजूद रहता है,
जिसे कोरोनामंडल या घटना क्षितिज (event horizon) के नाम जाना जाता है, इस कोरोना प्रकाश मंडल के अध्ययन से ही ब्लैक होल का पता लगाया जाता है।
वर्म होल की अवधारणा-
सर अल्बर्ट आइन्स्टीन का भी मानना था कि हमारे ब्रह्मांड के कई स्थानों पर ऐसे छिद्र या मार्ग (जिसे वर्म होल भी कहा जाता है) हो सकते हैं जो अंतरिक्ष में लम्बी दूरी को तय करने के माध्यम में काम करते हों। लेकिन अभी हम इंसानों ने ऐसे किसी छिद्र या मार्ग, जिसे वर्म होल भी कहा जाता है, की खोज नहीं की है या नहीं कर पाए हैं।
यहां इस बात को अधिक बल मिल जाता है कि हो सकता है “वर्म होल ब्रह्मांड के प्रकाश रहित छायांकन भाग में मौजूद हों, और अपना काम कर रहे हों?”वर्म होल की अवधारणा मौलिक तौर पर कई नई ब्रह्मांडीय संभावनाओं को जन्म देती है।
असल में वर्म होल की खोज में हमारे वैज्ञानिक पिछली एक सदी से पूरी तत्परता से लगे हुए हैं लेकिन अभी तक उन्हें वर्म होल खोज के क्षेत्र मेंकोई भी सफलता नहीं मिल पाई है,
जिस कारण वर्म होल की अवधारणा अब भी एक अवधारणा मात्र है. हममें से कई कल्पनाशील लोग अपनी प्रखर कल्पना से इसका आंकलन व इसकी गणना कर सकते हैं.
अंत में-
आज भी हम अपनी उन्नत तकनीकों से तैयार अंतरिक्ष यानों से केवल अपने चन्द्रमा तक ही सशरीर पहुंच पाए हैं, वहीं अगर भविष्य में वर्म होल की खोज व इसे पूर्ण रूप से समझ लिया जाता है….
तो अवश्य ही हम अंतरिक्ष में लम्बी छलांग लगाने में सक्षम होने के पायदान पर अपने आपको पाएंगे और जिससे हम ब्रह्मांड से जुड़े कई तथ्यों और रहस्यों से पर्दा उठाने के काबिल बन जाएंगे। लेकिन तब तक हमें अपनी तकनीको को पहले से ज्यादा उन्नत और विकसित करना होगा।
आशा है इस लेख ‘ब्रह्मांड का रंग क्या है?’ से ब्रह्मांड के बारे में कुछ नई बातें जरूर पता चली होंगी। ऐसे ब्रह्मांड और अंतरिक्ष से सम्बंधित जानकारियों (लेखों और तथ्यों) को पाने के हमारी वेबसाइट को subscribe जरूर करें,
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Achchhi jaankaari jaankari hai aur achche se likha hai…