सफेद बौने तारे(the white dwarf star) तारकीय कोर हैं जो अंतरिक्ष में बड़ी मात्रा में अपनी ऊर्जा, गैस और धूल बिखेरने या अपना ईंधन समाप्त हो जाने के बाद बच जाते हैं। असल में ये बौने तारे मृत सितारों के गर्म, घने अवशेष हैं।
तारों का यह स्वभाव ब्रह्मांड में अधिकांश सितारों के विकास के अंतिम चरण को चिह्नित करता है। जो हमारे सौरमंडल में सूर्य सहित ब्रह्मांडीय इतिहास की गहरी समझ का मार्ग प्रशस्त करता है।
एक सफेद बौने तारे में हमारे सूर्य से अधिक मात्रा में द्रव्यमान (mass) नहीं होता। जिस कारण इन्हें हम अपनी नग्न आंखों से नहीं देख सकते और जिससे इन छोटे आकार के सफेद बौने तारों को ढूंढना मुश्किल हो जाता है क्योंकि ये बौने तारे जो प्रकाश उत्पन्न करते हैं वह ऊर्जा खुद तारे को गर्म करने में खर्च हो जाती है।
सफेद बौने तारे कब बनते हैं (when do white dwarfs stars form)-
सफेद बौने तब पैदा होते हैं जब कोई तारा अपना ईंधन समाप्ति के कगार पर आ जाता है। एक तारा अपना अधिकांश जीवन (white dwarf star of life) गुरुत्वाकर्षण दबाव और गैसों के फ़्यूजन के बीच अनिश्चित संतुलन में बिताता है।
तारकीय कोर पर दबाव डालने वाली दो गैसों का भार परमाणु संलयन (nuclear atomic fusion) को बढ़ाने के साथ-साथ तारे के घनत्व व तापमान को भी बढ़ाता है। मुख्य रूप से किसी भी सामान्य तारे में हाइड्रोजन के तत्वों की मात्रामें अधिकता पाई जाती है, जिनमें लगातार संलयन (fusion) होता रहता है।
एक बार जब तारे के केंद्र में हाइड्रोजन समाप्त हो जाता है, तो तारा कार्बन और ऑक्सीजन में फ्यूज़िंग हीलियम में बदल जाता है और हाइड्रोजन संलयन तारे के कोर के चारों ओर एक खोल में फैल जाता है। इसके बाद वह तारा आकार में फूलकर एक बड़े लाल दानव (Red Giant) में बदल जाता है।
हमारे सूर्य सहित ब्रह्मांड के कई अन्य सितारों (सूर्य के बराबर व छोटे तारे) के यह अंत की शुरुआत है। जैसे-जैसे तारे में परिवर्तन आता है या विस्तार होता है वैसे-वैसे तारे पर मौजूद सौर हवाएँ पहले की अपेक्षा तीव्र गति से चलने लगती हैं।
जिसके कारण लाल तारे में बदला हुआ तारा अपने अतिरिक्त भार (मैटर- धूल) को अन्तरिक्ष में मुक्त (वाष्पित) करने लगता है। पूरी तरह से मैटर को मुक्त करने के परिणाम स्वरूप तारे का कोर उजागर होता है और यह उजागर कोर एक नवजात सफेद बौना तारा ही होता है।
एक विशाल सफेद बौना तारा विस्फोटित होने के कगार पर है-
जून 2021 के अंत में, वैज्ञानिकों और खगोलविदों ने अब तक देखे गए सबसे छोटे और सबसे बड़े सफेद बौने तारे की खोज की घोषणा की । यह तारा इतना छोटा होने के बावजूद भी यह इतना विशाल है कि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पतन (विस्फोटित होने) के कगार पर हो सकता है।
एक सफेद बौना तारा पूर्ण रूप से विकसित तारा होता है, जिसका ईंधन धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। हमारा सूरज भी एक दिन धीरे-धीरे सफेद बौने तारे में तब्दील हो जाएगा। लेकिन हमारे सूर्य को सफेद बौने तारे में तब्दील होने में अभी बहुत समय लागने वाला है, तो आप निश्चिंत रहिए।
खोजे गए इस विशेष सफेद बौने तारे को ZTF J1901+1458 नाम दिया गया है। यह हमारी पृथ्वी से लगभग 130 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित नक्षत्रमंडल अक्विला द ईगल (Aquila the Eagle) की दिशा में स्थित है। माना जाता है कि यह विशाल सफेद बौना तारा दो कम विशाल सफेद बौनों के विलय या विखंडन से बना है।
हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस विशाल सफेद बौने तारे ZTF J1901+1458 के पूरी तरह से पतन में अभी कुछ सौ साल लग सकते हैं। तो संभावना है कि शायद यह तारा अंतरिक्ष के अंधकार में डूब जाएगा या फिर एक ब्लैक होल में परिवर्तित हो जाए, लेकिन इसे जानने के लिए हमें तारे के अंतिम क्षणों का इंतजारकरना पड़ेगा।
अंत में-
हमारा ब्रह्मांड आज भी कई रहस्योंको लिए हुए अपना विस्तार कर रहा है, जैसे-जैसे हम अपनी ब्रह्मांड में पहुंच बढ़ाते जा रहे हैं, रोज एक नई घटना हमारे सामने आती जा रही हैं, पर देखा जाए तो अब भी हम अपने ब्रह्मांड के बारे में नाम मात्र ही जाते हैं।
पर आगे भविष्य में शायद अपनी उन्नत तकनीकों और प्रौद्योगिकियों की मदद से हम अपने ब्रह्मांड को और विस्तार से जान सकेंगे। आशा है आपको आज का लेख सफेद बौने तारे क्या हैं? जरूर पसंद आया होगा, ऐसी अनोखी जानकारी पाने के लिए वेबसाइट को subscribe करें और इस जानकारी को अपने दोस्तों और जरूरतमंद लोगों के साथ share करना न भूलें।
धन्यवाद!
जय हिंद! जय भारत!