ब्रह्मांड के रहस्य व रोचक तथ्य | Mysteries facts of Universe

हमारा ब्रह्मांड अजीबो गरीब रहस्य व रोचक तथ्यों से भरा पड़ा है जिसे हम हमेशा अपनी जिज्ञासा के समाधान के रूप में एक्स्प्लोर करने की कोशिश करते हैं। ब्रह्मांड के रहस्य हमेशा हममें रोमांच भर देते है। 

और आज इसी क्रम में आज हम आपके समक्ष ब्रह्मांड के रहस्यरोचक तथ्यों की श्रंखला लेकर आये है, जिन्हें जानकार आप अपनी अभी तक की जानकारी को अपडेट कर सकते हैं. तो चलिए बिना समय गवाएं शुरू करते हैं-

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ब्रह्मांड के रहस्य व रोचक तथ्य | Mysteries facts of Universe

पृथ्वी से दूर जाता चन्द्रमा

हमारा चंद्रमा पृथ्वी से हर वर्ष 1.5 इंच दूर होता जा रहा है। हालाँकि यह गति अभी हमें भले ही धीमी लग सकती है लेकिन अरबों सालों के बाद हमारा चन्द्रमा पृथ्वी से बहुत दूर जा चुका होगा. और हम कुछ इसके लिए कुछ भी कर नहीं सकते. 

कल्पना कीजिये जब चाँद नहीं होगा तो पृथ्वी पर कितनी आपदाओं का आगमन स्वत: ही बढ़ जाएगा. पर तब तक हो सकता है हम अपनी उन्नत तकनीकों ब्रह्मांड में उन ग्रहों को खोज निकाले जो हमारे रहने के लिए उपयुक्त हो और उनमें से किसी एक ग्रह पर अपना बसेरा बना चुके हों.

सूर्य का रंग

हमारा सूर्य एक सफ़ेद तारा है और यह अंतरिक्ष में देखने पर स्पष्ट रूप से सफेद ही दिखाई देता है. चूंकि पृथ्वी पर वातावरण की मौजूदगी के कारण हमें हमारा सूर्य लाल, केसरिया और पीला दिखाई देता है, इसका मतलब यह नहीं है की हमारा सूर्य कई रंगों का है. 

वस्तुत: सूर्य से आने वाली किरणों में सात रंगों का समावेश होता है जो पृथ्वी के वातावरण से परावर्तित होकर अलग-अलग रंगों में बिखर जाता है और समय के अनुसार बदलते वातावरण में हमें हमारा सूर्य अलग-अलग रंग का दिखाई देता है. मूल रूप में हमारा सूर्य सफेद ही है।

आकाशगंगा के केंद्र में ब्लैक होल

आज ब्लैक होल के बारे में तो हर कोई जानता है। ब्रह्मांड का एक ऐसा दानव है जिसका गुरुत्वाकर्षण इतना सघन और मजबूत होता है कि इसके संपर्क में आने वाली हर एक चीज को अपनी ओर खीचकर नेस्तनाबूदकर उसके अस्तित्व को मिटा देता है, यहां तक की प्रकाश भी इससे बच नहीं पाता. 

ब्लैक होल इतना ताकतवर होता है कि एक पूरी की पूरी गैलेक्सी(आकाशगंगा) को अपने अन्दर समेट कर उसका अस्तित्व पूरी तरह से मिटा सकता है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे के केंद्र में भी एक ब्लैक होल मौजूद है.

हीरे का बना ग्रह-

हमारे वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में एक ऐसा ग्रह खोज निकाला है जो हमारी पृथ्वी से 3 गुना बड़ा होने के साथ पूरे का पूरा हीरे का बना है। 55 Cancri e नामक यह तारा पृथ्वी से 40 प्रकाश वर्ष दूर कर्क नक्षत्र मन्डल में स्थित है और पूरे का पूरा हीरे का बना है। 

अंतरिक्ष की गंध

अंतरिक्ष की गंध या खुशबू किसी गर्म धातु या भुने हुए मांस की तरह होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि अंतरिक्ष में गए हुए कई अंतरिक्ष यात्रियों ने इस बात की पुष्टि की है उनके मुताबिक ऐसा पाया गया है कि अंतरिक्ष में ना तो कोई वातावरण मौजूद है और न ही अंतरिक्ष की कोई गंध होती है। 

लेकिन फिर भी बहुत सारे अंतरिक्ष यात्रियों ने इसकी गंध किसी गर्म या जली हुई धातु या भुने हुए मांस की तरह होने की पुष्टि की है वैज्ञानिक तौर पर अंतरिक्ष में पूरा वैक्यूम मतलब के शून्य अवकाश ही है लेकिन वास्तव में पूरी तरह से शून्य अवकाश मौजूद नहीं है. 

ऐसा इसलिए क्योंकि अंतरिक्ष के शून्य अवकाश में भी बहुत ही कम मात्रा में डार्क मैटर और कुछ अज्ञात तत्व मौजूद रहते है जो अंतरिक्ष यात्रियों के कपड़ों पर स्टेशन से बाहर जाने व आने पर चिपक जाते है। इन चिपके हुए पार्टिकल्स का जब अध्ययन व गंध महसूस की गई तो इसकी गंध या खुशबू किसी गर्म धातु या भुने हुए मांस की तरह लगती है.

27 डिग्री सेल्सियस का एक तारा

हमारे ब्रह्मांड में एक ऐसा भी तारा है जिसकी सतह का तापमान हमेशा 27 डिग्री सेल्सियस ही बना रहता है. अमूमन किसी भी तारे की सतह हमेशा उच्च तापमान की ही होती है. हमारे सूर्य की सतह का तापमान लगभग 5,500 से 6,000 डिग्री सेल्सियस तक हमेशा बना रहता है। 

लेकिन WISE 1828+2650 एक ऐसा तारा है जिसकी सतह का तापमान हमेशा 27 डिग्री सेल्सियस ही बना रहता है. यह एक भूरा बौना तारा है जो पृथ्वी से लगभग 47 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर लायरा नक्षत्र में स्थित है। 

ब्रह्मांड में कुछ भी स्थायीय नहीं है

हमारे ब्रह्मांड में कुछ भी स्थायीय नहीं है। हर चीज तो अपनी जगह से व धुरी पर गति/घूर्णन कर रहे हैं ब्रह्मांड की प्रत्येक चीज परिवर्तनशील है, हमारी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है। हमारा चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है और हमारा सूर्य संपूर्ण सौरमंडल को लेकर हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे की परिक्रमा कर रहा है। 

हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी (Milky-way) भी अपनी जगह से ब्रह्मांड में गति कर रही है। जिसकी गति 552 किलोमीटर प्रति सेकंड है, अपनी इस गति के कारण यह हमारे पड़ोसी आकाशगंगा देवयानी (Andromeda) से अगले लगभग 05 अरब साल बाद टकरा जाएगी लेकिन क्या तब तक हमारा अस्तित्व भी पृथ्वी पर होगा या नहीं इसका जवाब आप comment box में जरूर बताईयेगा। 

ब्रह्मांड वैक्यूम एक विशाल गोला

अंतरिक्ष में ध्वनि को यात्रा करने के लिए कोई माध्यम या आयाम नहीं होता है, वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारा ब्रह्मांड वैक्यूम का एक विशाल गोला है, जिसमें किसी भी तरह का कोई भी वातावरण मौजूद नहीं है, जिस कारण अंतरिक्ष में हर समय सन्नाटा छाया रहता है। इसलिए अंतरिक्ष यात्री एक दूसरे से संवाद करने के लिए रेडियो तरंग का उपयोग करते हैं।

महासागरों का अम्बार

ब्रह्मांड में की जा रही खोजो की अगर बात की जाए तो हमारे वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में एक ऐसी जगह खोज निकाली है जहां पर तैरते हुए जल के महासागरों का अम्बार लगा हुआ है. यह जल हमारी पृथ्वी पर मौजूद जल से 140 खरब गुना ज्यादा है। यह पानी भाप के रूप में ब्रह्मांड में तैर रहा है।

शराब का महासागर

हमारा ब्रह्मांड आज भी कइ रहस्यो को अपने अंदर समाये हुए है. पानी की खोज के बाद वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में एक विशालकाय शराब का महासागर भी खोज निकाला है। 

हमारी आकाशगंगा के केंद्र से 390 प्रकाश वर्ष दूर Sagittarius B2 (Sgr B2) नाम का यह विशालकाय बादल पूरा का पूरा ethanol, vinyl alcohol और methanol अल्कोहल का बना है। मतलब करोड़ों लीटर शराब का भंडार मौजूद जो ब्रह्मांड में तैर रहा है। 

बृहस्पति ग्रह का एक दिन

बृहस्पति ग्रह अपनी धुरी पर लगभग 10 घंटों में अपनी परिक्रमापूरी कर लेता है. मतलब बृहस्पति ग्रह पर एक दिन मात्र 10 घंटों का ही होता है. जो पृथ्वी के सबसे छोटे दिन से भी छोटा है

लेकिन आकार में देखने पर बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से कई गुना बड़ा है. बृहस्पति के तेज घूमने का कारण यह है कि बृहस्पति की सतह लगभग 50,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रही है। 

शुक्र ग्रह का 01 दिन

शुक्र ग्रह का 01 दिन शुक्र के 01 वर्ष से ज्यादा बड़ा होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शुक्र अपनी धुरी पर बहुत ही धीमी गति से घूर्णन करता है. शुक्र ग्रह को अपनी धुरी पर 01 घूर्णन पूरा करने में या चक्कर लगाने में 243 दिन लग जाते हैं, जबकिसूर्य की परिक्रमा करने में मात्र 225 दिन ही लगते हैं. मतलब शुक्र ग्रह का 01 दिन उसके 01 वर्ष से ज्यादा होता है। 

अंतरिक्ष यात्रियों का लम्बा शरीर

अंतरिक्ष में यात्रा करते समय अंतरिक्ष यात्रियों का शरीर लगभग2 इंचलम्बा हो जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की स्थिरतामौजूद नहीं है. जिस कारण इंसानी शरीर की रीड की हड्डी के जोड़ ढीले होकर सीधे हो जाते हैं. यही कारण है कि अंतरिक्ष में जाने वाले किसी भी सामान्य कद के इंसान की लंबाई लगभग 1.5 से 2 इंच बढ़ जाती है।

ब्रह्मांड में तारों की संख्या

ब्रह्मांड में तारों की कुल संख्याज्ञात कर पाना असंभव है. यह एक शाश्वत सत्य है कि हम ब्रह्मांड में मौजूद असंख्य तारों को कभी भी नहीं गिन सकते क्योंकि इतने विशाल दृश्य ब्रह्मांड में कई तारों का जन्म होता रहता है और कईयों का अंत। 

देखा जाए तो ब्रह्मांड में मौजूद तारों का अनुमान लगा पाना हमारी कल्पना शक्ति से बाहर की बात है. साथ ही हमारे ब्रह्मांड में कितने तारे थे, हैं या गये हैं इस आंकड़े का पता भी हमें कभी नहीं चलने वाला। 

ब्रह्मांड की सबसे बड़ी संरचना

देखने योग्य ब्रह्मांड की सबसे बड़ी संरचना लगभग 10 अरब प्रकाश वर्ष जितनी चौड़ी है। यह बात पूरी तरह से सत्य है. भौतिक विज्ञान की दृष्टी से आंकलन करने पर ब्रह्मांड में इतनी बड़ी संरचना का मौजूद होना एक आश्चर्य की बात और ब्रह्मांड के रहस्यों में से एक है. 

The Giant GRB Ring 9 गामा-रे बर्स्ट (जीआरबी) की एक अंगूठी है जो सबसे बड़ी ज्ञात ब्रह्मांडीय संरचनाओं में से एक से जुड़ी हो सकती है। 

इसकी खोज जुलाई 2015 में हंगरी और अमेरिकी खगोलविदों की एक टीम द्वारा की गई थी. GRB के रिंग्स/वलय पृथ्वी से लगभग 9.1 बिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर 0.78 और 0.86 के बीच रेडशिफ्ट पर स्थित है और साथ ही इसका व्यास लगभग 5.6 बिलियन प्रकाश वर्ष है, जो इसे अभी तक ज्ञात ब्रह्मांड की सबसे बड़ी संरचनाओं में से एक बनता है.

ब्रह्मांड में खालीपन

हमारे दृश्य ब्रह्मांड में एक ऐसी जगह है जहां बहुत बड़ा खालीपन मौजूद है. हालाँकि ब्रह्मांड के कई स्थानों पर खाली जगहें मौजूद है हालांकि दृश्य ब्रह्मांड में अक्सर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर निहारीकाएँ, तारे, ग्रह, खगोलीय पिंडप्रकाश आदि मौजूद रहते हैं. 

लेकिन Boötes void (सामान्य बोलचाल की भाषा में ग्रेट नथिंग के रूप में जाना जाता है) दृश्य ब्रह्मांड में एक ऐसा गोल क्षेत्र है जहां पर 330 मिलियन प्रकाश-वर्ष व्यास दूर तक अंधेरा फैला हुआ है. यह वैज्ञानिको के लिए आज भी एक रहस्य के साथ ब्रह्मांड में स्थित है. 

बूट्स शून्य ब्रह्मांड में सबसे बड़ी ज्ञात रिक्तियों में से एक है, जिसे सुपरवॉइड के नाम से भी जाना जाता है, इसकी खोज Robert Kirshner et al द्वारा अपनी रिपोर्ट में सन 1981की गई थी। 

अंत में-

ब्रह्मांड के रहस्य व रोचक तथ्य में अभी तक इतना ही., उम्मीद करता हूँ कि आपको ब्रह्मांड के कुछ हैरान कर देने वाले रहस्य और रोचक तथ्य अवश्य पता चले होंगे। आगे समय-समय पर और भी तथ्यों से इस पोस्ट को अपडेट किया जाता रहेगा। पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों और ज़रूरतमंद को Share करे।  यदि कुछ कहना या पूछना चाहते हैं तो Comment Box में लिखे।

अंत में बस यही कहना चाहूंगा कि हमेशा अपनी जानकारी को अपडेट करते रहें, पढ़ें और पढाएं और अपने चारों ओर ज्ञान फैलाएं

धन्यवाद!

जय हिन्द! जय भारत!

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