भूतों का तांडव – एक अनुभव (पार्ट-2)

नमस्कार साथियों आशा है आप सभी अच्छे होंगे… भूतों का तांडव – एक अनुभव पार्ट-1 में अभी तक हम “छटपटाहट में मैंने इधर-उधर हाथ-पैर मारे… इस हलचल से फलाने उठ गया…..” यहाँ तक पढ़ चुके हैं…. अब आगे…

इसके बाद वे कहने लगे कि आप लोगों को हनुमान चालीसा या कोई भी देव/देवी की चालीसा आती है. हमने कहा कि नहीं आती है और अगर आती भी है तो पूरी नहीं आती है… 

इस पर उन्होंने एक हनुमान चालीसा की किताब अपनी जेब से निकाल कर हममें से एक के हाथ में थमा दी और कहने लगे कि सब कुछ फेक देना लेकिन इसे हमेशा अपने पास ही रखना…. क्योंकि ये आप सभी की मदद कर सकती है…..

उनके इस तरह से कहने से हम लोग थोडा सा सहम गए… इतने में हमारा स्टेशन आ गया जहाँ हमें उतरना था…. हमने अपने बैग उठाये और उन दादा जी से रुक्सती लेते हुए कहा कि हम आपकी बात को विशेष ध्यान रखेंगे…. इतने में ट्रैन चलने लगती है… पर हम ट्रेन से उतर चुके होते हैं….

भूतों-का-तांडव-एक-अनुभव-part-2

प्लेटफोर्म पर उतरने के बाद हम लोग सबसे पहले एक होटल/ढाबे पर खाने-पीने के लिए चले गए…. अजीब बात यह थी कि उस ढाबे पर हमारे अलावा अन्य कोई ग्राहक नहीं था… वो जैसे डरावनी फिल्मों में दिखाया जाता हैं न बिल्कुल वैसा ही सीन था…. 

हमने अपने आर्डर दिए थोड़ी देर बाद हमारा आर्डर बनकर आ गया…. यहाँ एक और बात अजीब हुई… और वह यह कि यहाँ का खाना इतना अधिक स्वादिष्ट था, जिसे आज तक हममें से किसी ने कभी भी नहीं खाया था… खैर….

खाना-पीना करके हमने बिल के लिए कहा तो हमारा बिल भी इतना कम था जैसे मानो कि हम लोगों ने फ्री में ही सब खा लिया हो…. यहीं से अजीब घटनाओं का होना हमारे साथ शुरू हो गया था… इसके बाद हम अपने दोस्त के यहाँ पहुचने के लिए सवारी गाड़ी को बुलाया… तो ड्राइवर ने पूंछा कि कहाँ जाना है…?

इस पर मैंने कहा कि हमें फला गाँव जाना है… बोलो कितने पैसे लोगे… वो बोला मैं उस गाँव में नहीं जाता…. आपको जाना है तो मैं उस गाँव की डगर पर आपको छोड़ सकता हूँ… आपको वहां से पैदल ही जाना पड़ेगा…. यह एक और अजीब घटना थी…. खैर हम शहर के रहने वाले इस सब को नहीं समझ पाए….

आगे का जानने के लिए हमने सोचा कि अपने दोस्त को फोन कर लेते हैं लेकिन इतना बीहड़ गाँव होने के कारण वहां पर फोन का नेटवर्क भी नहीं था, आप तो जानते ही हैं 2010 में मोबाईल नेटवर्क की क्या स्थिति होती थी… खैर हम तीनों ने आगे पैदल ही चलने का निश्चय किया और बढ़ चले….

हम लोग एक कतार में आगे बढ़ रहे थे, जिसमें सबसे पीछे मैं था…. अमूमन ऐसा हम लोग कभी नहीं करते थे, पर इसे एक इत्तेफाक कहा जा सकता है. जैसे-जैसे हम अपने दोस्त के गाँव की ओर बढ़ रहे थे…. चूंकि मैं सबसे पीछे था, तो मुझे कुछ महसूस हो रहा था… 

मानो जैसे कोई मेरे पीछे चल रहा हो… मैंने कई बार मुड़-मुड़ कर भी देखा पर मुझे कोई दिखाई नहीं दिया…. यह बात मैंने अपने आगे  रहे दोस्तों को नहीं बताई… सोचा वो मुझे पागल समझेंगे…

लगभग 45 मिनट चलने के बाद हम गाँव की सीमा में दाखिल हो गए, जैसे ही हम तीनो आगे बढ़े तो हम लोगों ने क्या देखा…? पूरे गाँव में सन्नाटा पसरा पड़ा था…. लग रहा था जैसे कोई बड़ी घटना हुई है… और सभी गाँव वाले कहीं चले गए हैं…. जितने भी घर थे सभी खाली ही महसूस हो रहे थे… इसपर हमने एक-दूसरे से आपस में बात करते हुए कहा कि लगता है… हम लोग कहीं गलत तो नहीं आ गए…. ?

हालाँकि हम लोग आपस में बात कर ही रहे थे… इतने में एक सामने वाले घर से एक बुजुर्ग छड़ी के सहारे बहार निकलते हैं.. उनको देखकर हम लोगों की जान जान आई… हम उनकी तरफ अपने दोस्त के घर का पता पूछने के लिए बढ़े और उनसे पूंछा कि फलाने (दोस्त का बदला हुआ नाम) का घर किधर है दादा जी….?

वो बोले फलाने का घर गाँव के दक्षिण में है… लेकिन अभी कोई वहां होगा नहीं…. तो मैंने पूंछा ऐसा क्यों….? तो वे बोले कल हमारे गाँव में एक आदमी की देर रात में मौत हो गई थी…. आज सभी उसके दाह-संस्कार में गए हैं… आप लोग थोड़ा इन्तजार कर लो… 

सभी के लौटने का समय हो चूका है…. इतना कहकर उन बुजुर्ग ने एक खाट की ओर इशारा करते हुए… आराम करने का संकेत दिया…. हम लोग भी काफी थक चुके थे… हमने सोचा कि चलो तब तक थोडा आराम ही कर लिया जाए….

लगभग आधा घंटा बीत गया लेकिन अभी तक कोई भी नया व्यक्ति नहीं दिखाई दिया…. जैसे-जैसे समय बीत रहा था…. अँधेरा और घना होता जा रहा था… और हम शहर वालों को इतने घने अँधेरे की आदत तो थी नहीं, इसलिए हम तीनो को बहुत बेचैनी सताने लगी थी…. उस समय घडी में करीब रात के 9:30 बजे थे, थोड़ी हलचल सुनाई दी… जिससे हम लोग थोडा सा सहम गए….

भूतों-का-तांडव-एक-डरावना-अनुभव

पर थोड़ी देर बात सब साफ हो गया, ये हलचल गाँव वालों की थी… जो अपने घरों को वापस लौट रहे थे… यह सब देखकर हम लोगों को बहुत राहत मिली… और यह साफ हो गया कि हम लोग सही जगह/पते पर आये हैं… मैंने एक आदमी से पूंछा कि फलाने का घर किधर है… क्या वो आपके साथ अभी वापस लौटा है…? तो उसने हमारे दोस्त को एक बुलंद आवाज लगाकर बुलाया….

हम तीनो अपने दोस्त को देखकर इतना खुश हो गए कि मेरे तो ख़ुशी के आंशु ही निकल आये… जैसे मैं उससे गले मिलने को आगे बढ़ा… उसने रोक दिया और कहा कि वह अभी मिटटी से लौटा है… इसलिए बगैर शुद्ध हुए हममें से किसी को भी टच नहीं करेगा… उसकी बात से हम तीनो सहमत थे… फिर उसने कहा चलो यार घर चलें… हम लोगों ने अपना बैग उठाया और घर की और चल दिए….

जैसे-जैसे हम घर की ओर बढ़ रहे थे…. मुझे फिर से महसूस हुआ कि कुछ दूरी पर कोई मेरे साथ-साथ चल रहा है… चूंकि अँधेरा इतना घना था… इसलिए पता ही नहीं चल पा रहा था कि कौन है…? खैर मैंने इसे फिर से इग्नोर किया और दोस्तों से बातें करता-करता घर पर पहुच गया….

घर पहुँचते ही… हमें पता चला कि दोस्त की माता जी अपने भाई के यहाँ गई है…. घर में वो और उसके पापा ही हैं… उनका खाना पीना उसके चाचा के यहाँ से बनकर आता है…. हमारे दोस्त ने कहा कि तुम लोग हाथ-मुंह धोकर फ्रेश हो जाओ… तब तक मैं झट से स्नान करके आता हूँ… जाते-जाते उसने हमारे खाने के लिए चाचा के यहाँ बता दिया था….

हम लोग हाथ-मूंह धोकर फ्रेश होकर… अपनी-अपनी खाट पकड़ ली और खुले आसमान के नीचे लेट कर तारों को निहारने लगे… थोड़ी देर बाद हमारा दोस्त नहा-धोकर आ गया… करीब आधे घंटे हम लोगों ने आपस में बातें की… रात के लगभग 11:15 बज रहे थे… इतने में चाचा ने आवाज दी…. वो खाना खाने के लिए बुलावा था… हम लोग खाना खाने उसके चाचा के घर चले गए…

क्या स्वदिष्ट खाना था… शहर के खाने से बिल्कुल अलग… एक ने कहा कि इतना स्वादिष्ट खाना तो शहर के नामी होटलों में भी नहीं मिलता है… इस पर चाचा जी बोले… बाबू लोग शर्मिंदा न करें, हम गरीब जो रूखी-सूखी खाते है… वही आपको दिया है…

अगर फलाने (दोस्त) पहले बता देता तो कुछ बढ़िया पनीर जैसा बना देते…. इस बात में हम सभी को नि:शब्द कर दिया था… पर वास्तव में वो खाना सच में बेहद स्वादिष्ट था… खैर… हम लोगों ने चुपचाप खाना खाया और चाचा जी को खाने के धन्यवाद भी कहा… और अपनी खाट की ओर चल दिए….

चारों की अलग-अलग खटिया थी… खटिया पर पहुँच कर हममें से एक ने छेड़ते हुए फलाने (दोस्त) से पूंछा कि तूने जो बातें अपने गाँव के बारे में हमें बताई थीं, क्या सच में यहाँ वो सभी होती हैं…? इस पर उसने इस बात को टालने की कोशिश की और कहा कि अभी रात का समय है और तुम लोग थक चुके होगे… 

इसलिए कल सुबह इसके बारे में बात करेंगे…. पर हम तो हम है मतलब हम शहर वालों के अन्दर सब्र कहाँ…. और ऊपर से नई उम्र का दोष…. न चाहते हुए भी उसने कहा कि जो बाते उसने हमें बताई थीं वो सबकी सब बिल्कुल सच्ची हैं… और उसके प्रमाण भी मौजूद हैं…. इतने में मुझे लगा कि कोई गुप्प अँधेरे में दूर खड़ा होकर हमें घूरे जा रहा है…. 

उसके देखने से मेरे शरीर में सिहरन दौड़ रही थी… पर ये भ्रम भी हो सकता था, क्योंकि गाँव में बिजली का बस नाम था… पर असलियत में बिजली नहीं थी.

हमारी खाट फलाने (दोस्त) के घर के बाहर खुले आसमान के नीचे बिछी हुई थीं… इसलिए भ्रम होना संभव था. इतने में मैंने कहा जब हम ट्रेन से आ रहे थे… तब एक बुढाऊ ने तुम्हारे गाँव के बारे में वही बताया था जो तुमने हमें बताया था…. इस पर मेरे दोस्त फलाने ने मेरी बात काटते हुए कहा कि पुरनिया बड-बड़ाया करते हैं… उनकी बातों को सुनो और भूल जाओ… इस पर मैं कोई उत्तर नहीं दे पाया…

अब तक लगभग रात के 12:30 से ऊपर हो चुके थे… हल्की-हल्की नींद भी आने लगी थी…. तो फलाने ने कहा कि रात बहुत हो चुकी है… और ये गाँव है… यहाँ दिन के 11 बजे तक सोने को नहीं मिलता है… इसलिए अभी सो जाते है… सुबह मैं सभी को गाँव घूमाने ले चलूँगा… चूंकि हम सभी सफ़र करके थके हुए थे इसलिए सभी को जल्दी ही नींद आ गई….

करीब रात के 3:00 बजे एकाएक मेरी नींद झटके से खुल गई, मुझे लगा कि कोई मेरी खटिया के सामने खड़ा होकर मुझे घूरे जा रहा है… और मैं चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रहा हूँ… छटपटाहट में मैंने इधर-उधर हाथ-पैर मारे… इस हलचल से फलाने उठ गया…..

डिस्क्लेमर

मैंने अपने इस अनुभव को कहानी का स्वरुप देने की कोशिश की है ताकि पाठक गण को पढने में आनंद और वो महसूस हो सके जो मैंने महसूस किया था. इस अनुभव में स्थान/जगह व सम्बंधित व्यक्तियों के नामों को सुरक्षा हित की दृष्टि से बदल दिया गया है.

इसके साथ यह अनुभव कई पार्ट में प्रकाशित किया जायेगा. इस अनुभव लेख में उल्लिखित की गई सभी सामग्री Copyrighted है. जिसका किसी अन्य के द्वारा commercial तौर पर किये जाने पर सख्त कार्यवाही की जाएगी. 

भूतों का तांडव – एक अनुभव के पार्ट-2 में इतना ही. आशा है आपको पहला पार्ट रोचक जरूर लगा होगा. जल्द ही हम इसका अगला पार्ट अपलोड कर देंगे… अपलोड की नोटिफिकेशन पाने के लिए वेबसाइट को subscribe करना न भूलें.. इसके साथ ही यदि आप कोई प्रतिक्रिया देनी है तो comment box में लिखें….

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