मंगल ग्रह पर खोज करता पर्सीवरेंस रोवर | Perseverance Rover in hindi

पर्सीवरेंस रोवर नासा का मंगल मिशन | मंगल पर जीवन के साक्ष्य खोजने की पहल

पिछली एक सदी से हम इंसान मंगल यानी लाल ग्रह को अपने एक नए आशियाने की तरह देख रहे हैं, जहां जीवन का अस्तित्व खोजने के लिए हम इंसानों ने इस लाल ग्रह पर कई अंतरिक्ष यान (मिशन) भी भेजे हैं. इन भेजे गए मिशनों में केवल 04 रोवर मिशन ही मंगल ग्रह की सतह पर सुरक्षित और सफलता पूर्वक लैंड या उतर पाए हैं. 

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नासा का मंगल मिशन | Perseverance Rover—– मूल इमेज स्रोत: NASA

अभी हाल में इन्ही रोवर मिशनों में से एक मिशन पर्सीवरेंस रोवर (perseverance rover) मंगल ग्रह पर खोज करने के लिए भेजा गया है. जो लाल ग्रह की सतह पर सुरक्षित उतर भी चुका है और मंगल ग्रह (Red Planet) पर कई चीजों की खोज करने के लिए तैयार है.

जीवन की खोज के लिए अंतरिक्ष में छलांग-

हम इंसानों ने अपने सौरमंडल और ब्रह्मांड में पृथ्वी से परे जीवन की खोज के लिए अंतरिक्ष में नई-नई छलांगे लगानी शुरू कर दी हैं, इसकी शुआत तब हुई थी, जब सन 1610 में इटली के मशहूर खगोल विज्ञानी गैलिलियो गैलिली ने अपनी छोटी सी दूरबीन से अंतरिक्ष में कई पिंड खोज निकाले, जिन्हें आज हम गैलिलियन चंद्रमाओं के नाम से जानते हैं. 

उनकी इस खोज ने जीवन के अस्तित्व की नई संभावनाओं को पैदा किया साथ ही उनकी खोज ने कई वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को अंतरिक्ष को विस्तार से जानने के लिए प्रेरित भी किया. बीते कुछ सालों में पूरी दुनिया की space एजेंसियों ने ब्रह्मांड में कई ऐसे ग्रह, उपग्रह और एक्सोप्लेनेट खोज निकाले हैं, जहां पर जीवन संभव हो सकता है. 

इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने सबसे पहले पृथ्वी से परे जीवन की खोज की शुरुआत पृथ्वी के पडोसी और सौरमंडल के चौथे ग्रह मंगल यानी लाल ग्रह से की है. जहां अभी तक पूरे विश्व से कुल 48 अंतरिक्ष यान (spacecraft) भेजे जा चुके है, जिनमें से NASA के पर्सीवरेंस रोवर सहित कुल 24 मिशन सफल रहे हैं. 

मंगल मिशन-

पिछले कई दशकों में हम इंसानों ने लाल ग्रह के हाइड्रोस्फीयर और वातावरण का करीबी से अध्ययन करने के लिए कई मिशन भेजे हैं, वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे पड़ोसी ग्रह मंगल पर प्राचीन काल में कहीं न कहीं जीवन जरूर पनपा होगा। 

लेकिन यह एक संभावना हो सकती है क्योंकि मंगल ग्रह पर जीवन से अंश खोजने के लिए हमें मंगल ग्रह की सतह का गहनता से अध्ययन करना होगा, इसी अवधारणा से प्रेरित वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह पर जीवन के मूलभूत तत्वों की खोज के लिए कई मिशन भेजे हैं।

जिनमें रोवर, लैंडर्स और ऑर्बिटल मिशन शामिल है, इन मिशनों में से सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण रोवर मिशन हैं. NASA के अभी तक केवल 04 ही रोवर मिशन, मंगल ग्रह की सतह पर सुरक्षित और सफलतापूर्वक लैंड कर पाए हैं.

इन चारों रोवर मिशनों के नाम है-

  1. Opportunity (2004),
  2. Spirit (2004),
  3. Curiosity (2012), और अभी हाल में 
  4. Perseverance (2021)

क्यूरियोसिटी रोवर-

नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल पर आज से लगभग 04 बिलियन साल पहले मौजूद स्थिति के बारे में पता लगाया जिससे इस संभावना को बल मिला कि मंगल पर जीवन शायद किसी न किसी रूप में कभी जरूर पनपा होगा पर यह मात्र एक संभावना थी। असल में ऐसा था या नहीं यह जानने के लिए हमें पुख्ता प्रमाण की जरूरत थी

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नासा का पिछला रोवर मिशन क्यूरियासिटी रोवर— इमेज स्रोत–NASA

और उस समय मंगल पर मौजूद रोवर या तो इतने सक्रिय नहीं थे या फिर वह इतने काबिल नहीं थे कि सदियों पहले मंगल पर मौजूद जीवन का प्रमाण ढूंढ सके। इसलिए हमें एक नए रोवरकी जरूरत थी जो मंगल ग्रह पर जाकर वहां की मिट्टी, चट्टानों और वातावरण का अच्छे से निरीक्षण करें और वहां सालों पहले मौजूद जीवन के साक्ष्यों का पता लगा सके, इसलिए जन्म हुआ नासा के पर्सीवरेंस मिशन का।

नासा का पर्सीवरेंस मिशन-

नासा ने मंगल ग्रह पर, नासा मंगल मिशन के तहत पर्सीवरेंस मिशन को 30 जुलाई 2020 को 11:50 यूनिवर्सल टाइम कोऑर्डिनेटेड (UTC) पर एटलस-5 रॉकेट की मदद से लाल ग्रह की ओरभेजा, जो 18 फरवरी 2021 को मंगल ग्रह के जेज़ेरो क्रेटर (Jezero Crater) के पास सफलता पूर्वक उतर या लैंड हो चुका है.

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पर्सीवरेंस रोवर की लैंडिंग लोकेशन जेजेरो क्रेटर—- इमेज स्रोत–NASA

पर्सीवरेंस अंतरिक्ष यान अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है, जो मंगल ग्रह की मिट्टी, चट्टानों, वातावरण और यदि मंगल पर कहीं जल/पानी मौजूद है तो उसका पता लगाने की कोशिश करेगा। नासा का पर्सीवरेंस रोवर वह रोवर है जिसे लाल ग्रह को और गहन छान-बीनकरने के लिए भेजा गया है।

पर्सीवरेंस रोवर की बनावट व आकार-

नासा का पर्सीवरेंस रोवर छ: पहियों वाला (लगभग एक छोटी कार के आकार के बराबर का) रोवर है, जिसका कुल वजन लगभग 1100 किलोग्राम के आस-पास है, पर्सीवरेंस रोवर में एक तकरीबन 7 फुट की मशीनी भुजा(ARM), 23 कैमरे और साथ ही एक ड्रिल भी लगी है.

जो मंगल ग्रह पर खोज के दौरान काम करने के लिए प्रयोग में ली जाती है। पर्सीवरेंस रोवर में एक रेडियो आइसोटोप थर्मल जनरेटर के साथ 02 लिथियम बैटरियाँ भी install की गई है। 

मंगल ग्रह को अच्छे से explore करने के लिए पहली बार किसी रोवर मिशन के साथ ड्रोन की तरह का एक हैलिकोप्टर भी भेजा गया है, इस हैलिकोप्टर का नाम इनजेनुईटी (ingenuity) रखा गया है। यह पहली बार है जब किसी दूसरे ग्रह पर रोवर मिशन के साथ ड्रोन हैलिकोप्टर भेजा जा रहा है।

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पर्सीवरेंस रोवर के साथ भेजा गया इनजेनुइटी ड्रोन हैलीकॉप्टर—- इमेज स्रोत-NASA

पर्सीवरेंस रोवर का लक्ष्य-

पर्सीवरेंस रोवर नासा का अभी तक का सबसे आधुनिक रोवर मिशन है जिसे मंगल ग्रह को और बेहतर तरीके से explore करने के लिए भेजा गया है इसका मुख्य काम इस बात का पता लगाना है कि अरबों साल पहले मंगल पर किसी रूप में जीवन मौजूद था या नहीं। 

इसके लिए यह मंगल ग्रह के बायो माइक्रोबियल लाइफ (प्राचीन जैविक जीवन) का पता लगाने की कोशिश करेगा, जिसके लिए यह मंगल की सतह के कई हिस्सों की मिट्टी के सैंपल को इक्कट्ठा करेगा और इन सैंपलों को एक कैप्सूल में सुरक्षित कर मंगल की सतह के निर्धारित स्थान पर छोड़ देगा, ताकि भविष्य के मिशनों द्वारा इन सैंपलों को पृथ्वी पर लाकर उनके बारे में अच्छी तरीके से जाना जा सकेगा.

हम जानते हैं कि मंगल ग्रह के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड काफी ज्यादा मात्रा (लगभग 75%) में मौजूद है। यदि इस कार्बन डाइऑक्साइड के प्रभाव को अगर कम कर दिया जाए तो मंगल पर भविष्य में मानव बस्तियां बसाने के लिए या फिर नॉर्मल हैबिटेशन के लिए भी उपयुक्त बनाया जा सकता है। 

पर्सीवरेंस रोवर पर लगे उपकरण (इंस्ट्रूमेंट)-

अगर तकनीक की बात करें तो पर्सीवरेंस रोवर 07 अत्याधुनिक उन्नत तकनीक के उपकरण अपने साथ ले गया है जिनमें इनजुनिटी (Ingenuity) ड्रोन (हैलिकोप्टर) भी शामिल है, जिसका वजन मात्र 1.8 किलोग्राम के आस-पास है।

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पर्सीवरेंस रोवर पर लगे उपकरण—- मूल इमेज स्रोत-NASA

सुपरकेम (SuperCam)-

पर्सीवरेंस रोवर में मौजूद सुपरकेम मंगल पर मौजूद मिट्टी और चट्टानों को अपने कैमरा, लेजर और स्पेक्ट्रोमीटर्स से परीक्षण कर उसमें मौजूद ऑर्गेनिक कंपाउंड का पता लगाने में सक्षम है मंगल पर कोई ऑर्गेनिक कंपाउंड अगर हमें मिलता है तो यह लगभग साफ हो जाएगा कि किसी जमाने में वहां जीवन किसी रूप में मौजूद रहा होगा। यह 20 फीट की दूरी से एक पेंसिल के नोक जितने छोटे लक्ष्य के भी तत्वों के बारे में अच्छे से पता लगा सकता है.

मस्टकेम-जेड (Mastcam-Z)-

अगर मस्टकेम-जेड की बात करें तो यह पर्सीवरेंस रोवर का माउंटेड कैमरा सिस्टम है जो जूfunction से लैस है। मस्टकेम-जेड में मौजूद कैमरे Zoom in, focus के साथ हाई स्पीड 3D पिक्चर्स और वीडियो भी कैप्चर कर सकते हैं।

सामान्य तौर पर यह मंगल ग्रह के सतह और वातावरण के उच्च गुणवत्ता के चित्रों, 3D चित्रों और high definition के वीडियो को कैप्चर करने के मकसद से लगाया गया है इसमें एक zoom lens भी मौजूद है जिसका इस्तेमाल दूर मौजूद लक्ष्य को मैग्नीफाई कर के देखने में किया जा सकता है।

मेडा (MEDA)-

मेडा यानी Mars Environmental Dynamics Analyzer एक मौसम मापक इंस्ट्रूमेंट है इसे जेजेरो क्रेटर और मंगल ग्रह के वेदर रिपोर्ट देने के लिए पर्सीवरेंस रोवर में लगाया गया है यह मौसम मापन का काम करेगा यानी कि यह वहां मौजूद वातावरण और आद्रता के साथ-साथ यह हमें वहां के तापमान और मिट्टी के बारे में भी बताएगा साथ ही साथ यह बताएगा कि मंगल के वातावरण में धूल के कण किस या कितनी मात्रा में मौजूद है और उनका औसतन आकार कितना है। 

मोक्सी (MOXIE)-

मोक्सी (MOXIE) यानी Mars Oxygen In-Situ Resource Utilization Experiment। नासा का यह एक नया एक्सपेरिमेंट है, जिसका इस्तेमाल करके कार्बन डाइआक्साइड को ऑक्सीज़न में बदला जा सकेगा। भविष्य के होने वाले मिशनों में इसका इस्तेमाल सांस लेने के अलावा रॉकेट संचालक शक्ति (propulsion) के रूप में भी किया जा सकेगा। 

अभी हाल ही नासा द्वारा पर्सीवरेंस रोवर का 04 मार्च 2021 अपडेट दिया गया कि मोक्सी एक्सपेरिमेंट ने कार्बन डाइआक्साइड से 4 किलोग्राम तक ऑक्सीज़न का निर्माण सफलता पूर्वक कर चुका है।

पिक्सेल (PIXL)-

पिक्सेल यानी कि Planetary Instrument for X-ray Lithochemistry। पर्सीवरेंस रोवर के इस उपकरण में X-ray spectrometer नाम का एक इंस्ट्रूमेंट मौजूद है जो छोटे स्तर पर भी रासायनिक तत्वों की पहचान कर लेता है यानी कि रेत के छोटे से छोटे कण की रासायनिक संरचना में मौजूद तत्वों का पता लगाने में पिक्सेल सक्षम है। 

पिक्सेल इंस्ट्रूमेंट में एक उन्नत तकनीक का high definition कैमरा भी लगाया गया है जो मंगल के पत्थरों, मिट्टी के ढांचों और नमूनों का बेहद करीबी से फोटो ले सकता है, इन जानकारियों से वैज्ञानिकों को मंगल पर भूतकालीन जीवन के साक्ष्य ढूंढने में काफी मदद मिलेगी.

रिमफैक्स (RIMFAX)-

रिमफैक्स यानी कि Radar Imager for Mars’ Subsurface Experiment। इसमें जमीनी मर्मज्ञ (ground penetrating) रडार मौजूद है जो रडार-वेव का इस्तेमाल कर पर्सीवरेंस रोवर के नीचे मौजूद जमीन स्तर के अंदर की भूगर्भीय संरचना को देख सकता है। 

शेरलॉक (SHERLOC)-

शेरलॉक यानी की Scanning Habitable Environments with Raman & Luminescence for Organics & Chemicals। यह उपकरण पर्सीवरेंस रोवर के रोबोटिक भुजा पर जुड़ा हुआ है। पर्सीवरेंस रोवर का शेरलॉक (SHERLOC) उपकरण कैमरा, लेज़र और स्पैक्ट्रोमीटर की मदद से उन मिनरल और ऑर्गेनीक तत्वों का पता लगाने की कोशिश करता है जो जल आधारित वातावरण के कारण बनते हैं, जो मंगल पर भूतकालीन जीवन के साक्ष्य हो सकते हैं। 

शेरलॉक (SHERLOC) उपकरण में रंगहीन कांटेक्ट कैमरा के अलावा इसमें वाटसन नाम का एक रंगीन कैमरा भी मौजूद है जो मंगल की चट्टानों के पैटर्न और सतह के रंग का नजदीकी से (close-up shot) फोटोस ले सकता है।

पर्सीवरेंस रोवर मिशन से संबंधित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तर-

प्रश्न- पर्सीवरेंस रोवर क्या है?

उत्तर- पर्सीवरेंस रोवर अमेरिकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा निर्मित सबसे नवीनतम अत्याधुनिक (छ: पहियों वाला आकार में लगभग एक छोटी कार के बराबर) रोवर रोबोट मिशन है, जिसे मंगल ग्रह का अध्ययन करने के लिए विकसित किया गया है।

प्रश्न- 2021 में पर्सीवरेंस नामक अंतरिक्ष यान कहां उतरा?

उत्तर- 18 फरवरी 2021 को पर्सीवरेंस (रोवर मिशन) अंतरिक्ष यान जेज़ेरो क्रेटर (Jezero Crater) के पास सफलता पूर्वक उतर चुका है। 

प्रश्न- अभी हाल में मंगल की धरती पर उतरे अंतरिक्ष यान का क्या नाम है?

उत्तर- पर्सीवरेंस अंतरिक्ष यान, जो 30 जुलाई 2020 को एटलस-5 रॉकेट की मदद से मंगल ग्रह की ओर भेजा गया था।

प्रश्न- मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान क्यों भेजा गया था?

उत्तर- चूंकि मंगल ग्रह बनावट के मामले में लगभग पृथ्वी के समान है, इसलिए वैज्ञानिक मंगल ग्रह की मिट्टी और चट्टानों का अध्ययन कर यह जानना चाहते हैं कि क्या कभी मंगल ग्रह पर कोई जीवन मौजूद था या नहीं। जिसके लिए अभी तक कई अन्तरिक्ष यान मंगल यानी लाल ग्रह की ओर भेजे हैं।

प्रश्न- पर्सीवरेंस रोवर मिशन में कितने उपकारणों से लैस है?

उत्तर- पर्सीवरेंस रोवर कुल 07 अत्याधुनिक उपकारणों (सुपरकेम (SuperCam), मस्टकेम-जेड (Mastcam-Z), मेडा (MEDA), मोक्सी (MOXIE), पिक्सेल (PIXL), रिमफैक्स (RIMFAX) और शेरलॉक (SHERLOC)) से लैस है।

प्रश्न- पर्सीवरेंस रोवर मिशन के साथ भेजे गए ड्रोन हैलिकोप्टर का नाम क्या है?

उत्तर- पर्सीवरेंस रोवर मिशन के साथ भेजे गए ड्रोन हैलिकोप्टर का नाम इनजुनिटी (Ingenuity) है, जिसका वजन मात्र 1.8 किलोग्राम के आस-पास है.

प्रश्न- मंगल ग्रह पर सबसे पहला अन्तरिक्ष यान किस देश ने भेजा था?

उत्तर- सोवियत रूस ने सबसे पहले मंगल ग्रह पर अन्तरिक्ष यान भेज कर इतिहास रच दिया था।

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अंत में-

हमारा ब्रह्मांड इतना बड़ा है कि पृथ्वी जैसे अनगिनत ग्रह इसमें मौजूद होंगे. जब पृथ्वी पर जीवन मौजूद हो सकता है तो संभावना है कि अन्य ग्रहों पर भी जीवन किसी न किसी रूप से मौजूद हो। ऐसे में हमारे लिए यह मानना बेहद मुश्किल है कि जीवन केवल पृथ्वी पर ही मौजूद है। 

हालांकि अभी तक हमें ब्रह्मांड के और सौरमंडल के किसी भी अन्य ग्रह, उपग्रह या पिंड पर जीवन के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं, लेकिन मंगल ग्रह पर भेजा गया पर्सीवरेंस रोवर मिशन वह पहली कड़ी हो सकता है, जो पृथ्वी से परे जीवन की खोज कर पाए।

जीवन के साक्ष्यों की मंगल ग्रह पर खोज करता पर्सीवरेंस रोवर अपने लक्ष्य की ओर पहला कदम बढ़ा चुका है और आगे कई सालों तक लाल ग्रह पर खोज करता रहेगा।

पर्सीवरेंस रोवर मिशन से संबंधित जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और जरूरतमंद लोगों के साथ share करना न भूलें, साथ ही यदि कुछ कहना या पूछना चाहते हैं तो comment box में लिखें।

धन्यवाद!

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