I.Q. को दूसरों से बेहतर कैसे बनाये? | How to make better IQ than others?

 खुद को दूसरों से बेहतर कैसे बनाएं?

दिमाग! दुनिया की सबसे जटिल संरचना। हमारे शरीर का एक ऐसा अंग जिसकी ताकत ने सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रखा है और हमारे इस अंग की कार्य प्रणाली और क्षमता को समझने एवं आंकने के लिए वैज्ञानिक हमेशा नए-नए अध्ययन और शोध करते रहते हैं। कुछ ऐसे प्रश्न जो लगभग सभी को परेशान करते हैं, 

जैसे- हम ऐसा क्या करें, जिससे हमारा दिमाग औरों से तेज काम करें (How to increase IQ level of brain)? हम अपनी एकाग्रता और क्रियाशीलता को कैसे बढ़ाएं? अपनी I.Q. को दूसरों से बेहतर कैसे बनाये? अपने आपको कैसे बदलें? या खुद को बेहतर कैसे बनाएं? जिससे हम अपने लक्ष्य को सरलता से प्राप्त कर सकें

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ऐसे ही दिमाग को तेज करने वाले तरीकों के बारे में आज हम बात करने वाले हैं. जिनको जान व अपनाकर आप अपने दिमाग को तेज कर सकते हैं दूसरों से यानी कि I.Q. की शक्ति और क्षमता को बढ़ा सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं आज का विषय- 

I.Q. (Intelligence Quotient)-

सबसे पहले बात करते हैं I.Q. की. तो आखिर यह I.Q. होता क्या है? I.Q. की परिभाषा क्या है

एक ऐसी कसौटी जिसमें एक समान स्तर के मनुष्यों को उनकी बौद्धिक क्षमता के आधार पर परखा जाता है। इस I.Q. को आप एक सरल सूत्र के माध्यम से निकाल सकते है जो कि है-

“M.A./C.A.*100=?”

जहाँ M.A. = MENTAL AGE, 

और C.A. = CHRONOLOGICAL AGE 

M.A. क्या है? – MENTAL AGE मतलब बौद्धिक आयु क्षमता। बौद्धिक आयु क्षमता वह आयु है जिसमें एक उम्मीदवार से उसकी आयु स्तर समझदारी की अपेक्षा की जाती है। जैसे- मान लीजिए, कोई बच्चा 10 वर्ष का है तो उसकी कार्य करने और बौद्धिक क्षमता बाकी सामान्य 10 साल वाले बच्चों के बराबर हो।

C.A.- CHRONOLOGICAL AGE मतलब वास्तविक आयु यानी कि जन्म तिथि से वर्तमान समय तक। तो सूत्र हुआ – 

बौद्धिक आयु क्षमता/वास्तविक आयु*100=?”

10 वर्ष के बच्चे की बौद्धिक आयु क्षमता है 10 और वास्तविक आयु तो 10 है ही तो उसकी I.Q. होगी-

10 (बौद्धिक आयु क्षमता)/10 (वास्तविक आयु)*100 =100%

ये हुआ संक्षिप्त परिचय I.Q. का. अब इस I.Q. को कैसे बढाया जाये (How to Increase IQ in Hindi)? इसके लिए कुछ तथ्यों को बताया जा रहा है-

उल्टे हाथ का प्रयोग (Use Opposite Hand)-

अगर आपको अपनी I.Q. बढानी है तो सबसे पहले आपको सीधे हाथ के बजाय उल्टे हाथ को प्रयोग में लेने की आदत डालनी होगी। जिसकी शुरूआत आप टूथ-ब्रश से कर सकते हैं। आपके ऐसा करने से आपके दिमाग में नए-नए न्यूरॉन्स बनेंगे। जो आपकी बौद्धिक क्षमता को बढाने के लिए बहुत जरूरी हैं और बहुत सारे अध्ययनों में यह पाया गया है। 

आपके मन में आ रहा होगा कि उल्टे हाथ से ब्रश करने से दिमाग को क्या फायदा होगा? देखिए! तथ्य यह है कि जब भी आप कोई नया कामकरते हैं तब आपके दिमाग में नए-नए न्यूरॉन्स कनेक्शन बनते हैं और आपकी मानसिक अवस्था पहले से सुदृण होती है। 

मतलब रोज तो आप रोजाना वाले हाथ से ही ब्रश करते हैं पर अचानक से जब आप दूसरे हाथ से ब्रश करेंगे तो आपका दिमाग सचेत हो जाता है और नए-नए मजबूत न्यूरॉन सम्बन्ध बनाने लगता है और सिर्फ नए-नए सम्बन्ध ही नहीं बनते हैं, 

इससे भी बढ़कर नई-नई कोशिकाओं का भी जन्म होता है जिसका आपके दिमाग पर एक गहरा प्रभाव पड़ता है। मतलब जब आप सामान्य हाथ से ब्रश करने के बदले दूसरे हाथ से ब्रश करेंगे। यानी कि अगर आप दाएं हाथ से ब्रश करने के बजाए बाएं हाथ से ब्रश करना शुरू करेंगे। 

तब आप इसको नोटिस जरूर करें कि कहीं ब्रश घुमाने की जगह आप अपने मुंह या फिर सिर तो नहीं घुमा रहे। शुरुआत में ऐसा होना स्वाभाविक है पर आपके द्वारा की गई कोशिश मतलब नया काम धीरे-धीरे अपने मार्ग में आने लगेगा।

एक शोध के अनुसार- अगर आप अपना काम अपने रोज वाले हाथ से करते हैं, तो आपके दिमाग का वही हिस्सा/भाग ही सक्रिय या जागरूक होता है। वहीं जब आप उल्टे हाथ से अपना काम करेंगे तो आपके दिमाग का दूसरा हिस्सा/भाग भी सक्रिय या जागरूक हो जाएगा जो सामान्य तौर पर सक्रिय नहीं होता।

उल्टे हाथ से काम करने से आपका दिमाग और सक्रिय होने लगता है और यहीं पर जादू शुरू होता है क्योंकि आप सामान्य से अलग हो जाते हैं. दिमाग की क्षमता बढने से आपकी I.Q. के साथ रचनात्मक शक्ति भी बढ़ जाती है।

अपना लक्ष्य बनाना (Set Goals)-

जिंदगी में एक अटूट मकसद यानी लक्ष्य होना चाहिए और यह बहुत जरूरी है। बहुत सारे अध्ययनों और शोधों में यह पाया गया है कि जब तक आपकी जिंदगी में एक मकसद या लक्ष्य होता है। तब तक आपका दिमाग अपनी पूरी क्षमता से काम करता है। 

यही वह कारण है जिसके चलते बुढ़ापे में लोगों के दिमाग की ताकत कम हो जाती है क्योंकि उनकी जिंदगी का मकसद या लक्ष्य पूरा हो चुका है क्योंकि सेवा-निवृत्ति (Retirement) के बाद कोई क्या मकसद या लक्ष्य रखेगा। 

पर फिर भी कुछ उम्र दराज लोग तब भी लक्ष्य रखते हैं, लेकिन ज़्यादातर बुजुर्ग लोग कोई खास लक्ष्य नहीं रखते। जब तक जिंदगी में कोई मकसद या लक्ष्य होता है तब तक आपके दिमाग को संकेत जाते रहता है 

और आपके दिमाग को लगता है की हां इस शरीर को अभी और शक्तियों की जरूरत है, जिससे वह अपने मकसद या लक्ष्य को पूरा कर पाए। 

जिसकी वजह से आपका दिमाग आपकी बुद्धिमत्ता को बढ़ाता रहता है। वहीं इसके विपरीत अगर आप अपना लक्ष्य नहीं बनाएंगे तो आपका दिमाग अकर्मण्य हो जाएगा मतलब पूरी ऊर्जा से काम नहीं करेगा। आप कोई भी लक्ष्य रख सकते हैं 

जैसे- आपको कोई नौकरी (Job) को पाना है या नौकरी में पदोन्नति पाना या कुछ भी लक्ष्य हो सकता है। अपनी पूरी ताकत को उसी लक्ष्य की तरफ लगा दीजिये। 

असल में जब आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं तब आपका दिमाग आपके शरीर को भरपूर ऊर्जा और ताकत देना शुरू कर देता है। और जितने उत्साह (Passion) से आप उस काम को करना चाहेंगे आप की ऊर्जा का स्तर उतना ही बढ़ता जाएगा जिससे आपका दिमाग और तेज होता जाएगा।

अनुभवों को लिखना-

इतिहास में जितने बड़े-बड़े जीनियस हुए हैं जैसे लियोनार्डो द विंची, अल्बर्ट आइंस्टीन वे अपने जीवन के अनुभवों को सुरक्षित करते थे यानी अपनी जिंदगी और उसके अनुभवों को लिखा करते थे। वह जीनियस बने क्योंकि वह अपनी जिंदगी को लिखा करते थे। 

वह अपनी छोटी-छोटी आदतों में सुधारकरते रहते थे। इसलिए वह महान जीनियस बन गए। दुनिया में जितने बुद्धिमान लोगहैं उन सभी में यह सामान्य तौर पर पाया गया डायरी लिखना। 

अगर आपको भी अपने दिमाग की ताकत बढ़ानी है तो आप भी डायरी लिखने की आदत डालनी चाहिए। असुरक्षा के डर से अगर पेपर डायरी पर नहीं लिखना चाहते हैं तो आजकल मोबाइल के अंदर Virtual डायरी या नोट्स में लिख सकते हैं। जिससे कोई भी आपकी पर्सनल बातों को पढ़ नहीं पाएगा बिना आपके पासवर्ड के। 

पूरे दिन भर में क्या हुआ? उसका सोने से पहले एक बार अनुमान लगाओ, याद करो और फिर उसे लिख दो। लेकिन आज की दुनिया में कई लोगों को यह भी याद नहीं रहता कि आज सुबह उन्होंने क्या खाया था?और मजेदार बात यह है कि कोई याद करने की कोशिश भी नहीं करता

क्योंकि किसी को अंदाजा नहीं है कि यह काम आपके दिमाग और दिमाग की स्मरण शक्ति को कितना बढ़ा सकती है? अगर आप रात को सोने से पहले अपने जीवन दिनचर्या के बारे में लिखेंगे जैसे- आज आपके साथ क्या हुआ

दिन भर आपने कैसा अनुभव किया तो यह काम असल में आपके दिमाग को तरो-ताजा (Refresh) कर देता है और लिखने के बाद आपको हल्का महसूस भी कराता है। कुछ अच्छा हो उसे भी लिखें और कुछ खराब होता है तो उसे भी लिखें।

जब आप सुबह से क्या हुआ? यह सोचते हैं तब यह आपके दिमाग की स्मरणशक्ति को प्रभावित करता है। आप की स्मरण शक्ति उद्दीप्त होने लगती है और यह  दिमाग की स्मरण शक्ति को तेज करने का एक खास तरीका है। 

इसलिए आप जिंदगी की घटनाओं को नोट्स में लिखने का प्रयास जरूर करें जिससे रोज आपके दिमाग की स्मरण शक्ति की कसरत हो जाए। और आपका दिमाग जीनियस बनने के लिए एक कदम और आगे बढ जाये।

काम में टाल-मटोल (Procrastination) करना-

कल कर लूंगा, यह कहना या करना आपको बंद करना होगा यानी कि किसी काम को करने में टाल-मटोल (Procrastination) करना बंद करना होगा। दुनिया के जितने भी कम बुद्धि वाले इंसान हैं, 

उन सब में यह सामान्य तौर पर पाया गया है कि वे अपने काम को करने में टाल-मटोल बहुत करते हैं। मतलब कोई भी काम कल करूंगा या कोई भी काम अगर शुरु करना है तो कल से करूंगा, यह गलत है। कल में जीने वाले लोग हमेशा अपने दिमाग का सबसे कम प्रतिशत इस्तेमाल कर पाते हैं।

अगर आप चाहते हैं कि आपके दिमाग की शक्तियों का ताला खुले और आप इन असीम शक्तियों का इस्तेमाल कर पाएं। तो आपको कल करूंगा वाली आदत को बंद करना ही होगा। आप कहेंगे कैसे करूं? कोई आसान तरीका है क्या

देखिए! आप किसी काम को कल करूंगा इसलिए बोलते हैं क्योंकि आप सोचते हैं कि काम बहुत बड़ा है, चलो कल कर लेंगे। आप उस काम को एक बोझ की तरह लेते हैं लेकिन आपको अपने काम को छोटे-छोटे टुकड़ों या भागों में बांट देना चाहिए। 

जैसे- अगर कोई काम अकेले एक बार में नहीं किया जा सकता है तो आप अपने उस काम को कई भागों में बांट कर रोज उस काम के एक भाग या हिस्से को करने पर फोकस करिए। 

इससे आपका वो काम सही ढंग से और समय पर पूर्ण हो जाएगा और आपको काम का दबावभी महसूस नहीं होगा। आप जब ऐसा करेंगे तो कल करूंगा का ख्याल भी दिमाग में आएगा ही नहीं।

आप अगर कल करूंगा को छोड़ना चाहते हैं तो आपको एक दूसरा काम जो करना होगा, वह है वजह को ढूंढना, कारण को ढूंढना यानी आप उस काम को क्यों और किस लिए करना चाहते हैं?”

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जैसे अगर पढ़ रहे हैं तो किस लिए? अच्छे अंक(प्राप्तांक) लाने के लिए। तो अच्छे अंक(प्राप्तांक) लाना ही इसका प्रतिफल इनाम है। मतलब उस काम को करने से आपको क्या फायदा होने वाला है? उस पर ध्यान दें, जिससे आपको उस काम को करने का और भी मन करेगा। पढ़ने से आप Top करेंगे या नहीं, यह तो आपके हाथ में नहीं है। 

लेकिन आप अपनी पूरी जान लगा दें उस काम को करने में और हो सकता है कि आप Top भी कर लें। इसलिए किसी काम को करते वक्त हमेशा उसके फायदों के बारे में जरूर सोचे, जिससे आपका मन उस काम को करने में लालायित रहे। 

इसलिए काम को हिस्सों में बांटकर एक हिस्से पर फोकस करे और पूरी एकाग्रता और जोश के साथ अपना काम जल्द से जल्द पूर्ण करे और ऐसा करने से आपको कल करूंगा वाली आदत से जल्द से जल्द छुटकारा भी मिल जाएगा और आपकी क्रियाशीलता भी बढ जाएगी।

छोटी-छोटी झपकियाँ (Power Naps) लेना-

काम के बीच-बीच में छोटी नींद लेना भी आपके दिमाग की बौद्धिक क्षमता को बढ़ता है। दिन में अगर फ्री समय मिले तो एक छोटी सी झपकी जरूर ले लें क्योंकि यह झपकी आपके दिमाग को रिलैक्स करती है। 

असल में इन छोटी-छोटी झपकियों को Power Naps कहते हैं और दिमाग की ताकत को बढ़ाने का यह सबसे बेस्ट और सटीक तरीका है। दोपहर के किसी भी समय में आप चाहे तो 15 मिनट के लिए आंखें बंद कर लें। 

नींद आई तो ठीक, नहीं आई तो कम से कम थोड़ी देर के लिए एक जगह पर बैठने से आपका शरीर और दिमाग थोड़ा Relax जरूर हो जाएगा। असल में तथ्य यह है कि इंसान के दिमाग को सामयिक आराम की जरूरत होती है, जो कि रात की नींद से पूरी तरह मिल नहीं पाती.

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इसलिए दिमाग या मस्तिष्क के जितने वैज्ञानिक हैं वो दिन के समय एक छोटी सी नींद लेने या झपकी मारने की सलाह देते हैं ताकि थके हुए दिमाग को थोड़ा-सा 15-20 मिनट का मुकम्मल आराम मिल सके। जिससे दिमाग फिर से पूरी शक्ति और कुशलता से काम कर पाए।

Chewing Gums चबाना-

च्यूइंग गम चबाने के असल में बहुत फायदे हैं। च्यूइंग गम चबाना आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाता है, आपके दिमाग को तेज करता है और साथ ही साथ आपके चेहरे को एक आकार में लाता है जिससे आपका चेहरा और भी सुंदर बन जाता है। 

असल में जब आप च्यूइंग गम चबाते हैं तब आपका ट्राइजेमिनल तंत्रिका (Trigeminal nerve stimulation) उत्तेजित होती है। ट्राइजेमिनल तंत्रिका आपके दिमाग का वह हिस्सा है जो आपकी जागरूकता या मुस्तैदी को नियंत्रित करता है। 

आपका दिमाग जितना जागरूक या मुस्तैद रहेगा, दिमाग उतनी ही तेजी के साथ काम करेगा। च्यूइंग गम चबाने के चलते जब आपकी जागरूकता या मुस्तैदी बढ़ती है तब आपके दिमाग में ज्यादा खून पहुंचता है। 

मतलब च्यूइंग गम चबाने की क्रिया आपके दिमाग के भेजे जाने वाले खून के प्रवाह को बढ़ाने का काम करता है क्योंकि आपका मुंह चलते रहने के कारण  ज्यादा खून आपके दिमाग में पहुंचता है। जिसकी वजह से दिमाग और तेजी से काम करता है। 

यह थोड़ा-सा मजाकिया तथ्य है लेकिन आपको च्यूइंग गम चबाने से होने वाले लाभों/फायदों का पता होना जरूरी है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप दिन भर च्यूइंग गम ही चबाते रहें। किसी भी चीज की लत खराब होती है” 

फोन नंबर को मन मे याद रखना

फोन नंबर को सुरक्षित करना कोई गलत बात नहीं है लेकिन जब डायल करने की बारी आई तो संपर्क सूची में जाने के बदले फोन नंबर टाइप करके फोन लगाएं। आपको महसूस हो रहा होगा कि क्या बकवास तथ्य है

लेकिन मेरे दोस्तों आपको अंदाजा नहीं है कि जब आप बहुत सारे फोन नंबर (10 नंबर्स की जोड़ी) को याद करते हैं तब ये आपके दिमाग पर कितना प्रभाव डालता है

यह नंबर्स आपके दिमाग कि स्मरण शक्ति को कई गुना ज्यादा तेज कर देता है। क्या आपको पता है कि आपकी स्मरण शक्ति यानी याद करने की ताकत कमजोर क्यों हो जाती है

इसलिए! क्योंकि आप अपने याद करने की शक्ति का इस्तेमाल नहीं करते हैं। फोन नंबर्स को आराम से Save कर लिया और काम खत्म, गणित के सवालों को हल करने के लिए गणना-यंत्र यानी कैलकुलेटर का सहारा ले लिया और काम खत्म। ऐसी ही आसान चीजें करते रहेंगे तो आपके दिमाग और स्मरण शक्ति की कसरत कैसे होगी। 

अगर किसी मशीन को चलाया ही नहीं जाए तो वह मशीन ठीक से काम नहीं करेगी फिर उसका रख-रखाव (Maintenance) कराओ, तब जाकर वह मशीन काम करेगीऔर आप यहां सालों से दिमाग का अनुकूलतम इस्तेमाल ना करके जुगाड़ से काम निकालते आए हैं तो कैसे काम चलेगा? इसलिए फोन नंबर्स को याद रखने की आदत डालें 

दिमाग में ही हर एक नाम के साथ एक फोन नंबर जोड़ दें जैसे- यह मेरी मम्मी का नंबर है और यह मेरे दोस्त का। ऐसे आपके दिमाग के अंदर एक नक्शा और तस्वीर बनी रहेगी और इसका इस्तेमाल भी आप लगभग रोज करेंगे। 

जिससे आपकी स्मरण शक्ति यानी याद करने की शक्ति हमेशा बढ़ी हुई रहेगी। इसके अलावा और भी तथ्य हैं जिनको पढ़ने के लिए आप इस पोस्ट का दूसरा भाग (I.Q. को दूसरों से बेहतर कैसे बनाये?) अवश्य पढ़ें। 

I.Q. और मनोविज्ञान से संबन्धित Quiz भी हमारी वेबसाइट पर समय-समय पर आयोजित किए जाते है,आप इन quiz में हिस्सा लेकर अपनी I.Q.के स्तर को और उन्नत बना सकते हैं।

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तुलनात्मक प्रश्न-

एक तुलनात्मक प्रश्न जो लगभग कईयों के कौतुहल का विषय हमेशा बना रहता है- क्या स्त्रियों में पुरुषों की तुलना में कम आई क्यू होता है? इसका उत्तर है नहीं! हालांकि पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों को अपने वजूद और स्वाभिमान के लिए हमेशा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, 

इतनी तकलीफों के बाद भी आज महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है और अपना एक नया अस्तित्व और एक नई पहचान बना रही हैं. इतिहास के पन्नों में झांककर देखिये ऐसी कई महिलाओं और स्त्रियो का वर्णन मिल जाएगा, जिन्होंने अपनी सूझ-बूझ से समाज को एक नई दिशा प्रदान की है. 

एक शोध के मुताबिक बालिका शिशु की चीजों को सीखने की दर बालक शिशु के चीजों को सीखने की दर से तेज होती है, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जन्म से किसकी आई क्यू तेज होती है. 

हालांकि कुछ इस उत्तर से सहमत नहीं होंगे लेकिन जो शोध किया गया था उसमें यही बात निकल कर सामने आई है. अगर आप में से कोई इसका और सटीक उत्तर दे सकता है तो कृपया comment box में जरूर बताएं, आपका स्वागत है.

अंत में

दोस्तों आज की पोस्ट में बस इतना ही, मिलते हैं अगले भाग में जहां पर हम बात करेंगेकृतज्ञता, साँस लेने के व्यायाम, सपनों को समझने की कोशिश करना, शरीर को हाइड्रेट करना, दिमाग तेज करने के लिए क्या खाएं और मल्टी-टासकिंग के बारे में बात करेंगे। 

आशा है कि आपको आज की पोस्ट I.Q. को दूसरों से बेहतर कैसे बनाये?” जरूर अच्छी लगी होगी, अगर हां तो इस जानकारी को अपने दोस्तों औरजरूरतमन्द लोगों के साथ share अवश्य करें, और हां यदि कुछ पूछना या कहना चाहते हैं तो कृपया comment box में लिखें

धन्यवाद!

जय हिन्द! जय भारत!

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