ब्लैक होल ब्रह्मांड की सबसे अजीब जगह| Black hole in universe

ब्लैक होल ब्रह्मांड की सबसे ताकतवर जगह: बिना किसी शर्त हम कह सकते हैं कि ब्लैक होल (कृष्ण-विवर) इस ब्रह्मांड के सबसे अजीब जगहों में से एक है। साधारण भाषा में कहें तो यह की-

“एक ऐसी जगह है जहां की गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी मजबूत होती है जिससे कोई भी चीज इससे बच नहीं सकती, यहां तक कि सबसे तेज गति से चलने वाला प्रकाश भी इसे पार नहीं कर पाता है।” 

ब्लैक-होल-ब्रह्मांड-की-अजीब-जगह

नमस्कार साथियों! स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट में, और आज हम ब्लैकहोल के विषय में विशेष चर्चा करने जा रहे हैं। अगर आपको विज्ञान और ब्रह्मांड में रुचि है तो आपने ब्लैक होल का नाम तो सुना ही होगा। अपने विषय पर चर्चा शुरू करने से पहले मैं ब्लैक होल से संबंधित कुछ प्रश्नों का उल्लेख करना चाहूँगा, जिस पर आगे विस्तृत चर्चा भी करेंगे-

प्रश्न हैं- “आखिर ये ब्लैकहोल क्या होता है?, ब्लैक होल का निर्माण कैसे हुआ?, ब्लैकहोल की खोज किसने की?, ब्लैकहोल थ्योरी किसने दी?, ब्लैक होल का गणितीय सिद्धांत किसने दिया? और अगर हम ब्लैकहोल में गिर जाए तो क्या होगा?” इन सभी प्रश्नों को एक-एक कर समझने की कोशिश करेंगे, चलिये शुरू करते हैं- 

ब्लैक होल क्या होता है?

सबसे पहले हम इस प्रश्न- ब्लैकहोल क्या है? का पता करेंगे। जान लीजिये ब्लैकहोल हमारे ब्रह्मांड में एक ऐसा स्थान या जगह है जहाँ का गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा होता है कि अभी तक ज्ञात सबसे तेज गति से चलने वाला प्रकाश भी इससे बाहर नहीं निकल सकता है। 

मजबूत गुरुत्वाकर्षण के कारण ब्लैक होल किसी भी पदार्थ को एक छोटे से आकार में निचोड़ कर निगल जाता है। साधारण शब्दों में हम ब्लैक होल को ब्रह्मांड की सबसे ताकतवर जगहों में से एक की संज्ञा दे सकते हैं। 

ब्लैकहोल का निर्माण कैसे हुआ?

अब हम अपने अगले प्रश्न पर आते हैं- ब्लैक होल कैसे बनता है? या ब्लैकहोल की उत्पत्ति कैसे हुई? वैज्ञानिकों ने इस प्रश्न को परिभाषित करते हुए बताया कि “किसी भी ऑब्जेक्ट को उसके न्यूनतम मूल बिंदु तक कम्प्रेस/दबाया जाए तो वह ऑब्जेक्ट ब्लैक होल में परिवर्तित हो जाएगा।” 

जिस चीज का घनत्व जितना ज्यादा होगा, उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी उतनी ही ज्यादा होगी। साधारण भाषा में ब्लैक होल “एक ऐसा सघन ऑब्जेक्ट है जिसका घनत्व और गुरुत्वाकर्षण शक्ति सामान्य से बहुत ज्यादा होती है।” 

जो अपने आस-पास के ओब्जेक्ट्स को अपनी ओर मजबूती से खींच लेती है। सामान्य तौर पर हमारे ब्रह्मांड में ब्लैक होल का निर्माण या उत्पत्ति तब हो सकती है जब कोई तारा मर रहा होता है। 

विशेष उपकरणों से हम यह देख सकते हैं कि कैसे जो तारे या ब्रह्मांडीय पिंड ब्लैक होल के बहुत करीब वाले क्षेत्र में होते हैं वे अन्य तारों की तुलना में अलग तरह से कार्य करते हैं। 

ब्लैक होल कितने प्रकार के होते हैं?

03 प्रकार के ब्लैकहोल अभी तक ज्ञात हैं-

  1. तारकीय ब्लैकहोल (Stellar black holes)
  2. सुपरमैसिव ब्लैकहोल (Supermassive black holes)
  3. लघु ब्लैकहोल (Miniature black hole)

इवेंट होराइजन (घटना क्षितिज)

“ब्लैक होल का वह परिधीय क्षेत्र जहां से कोई भी ऑब्जेक्ट यहाँ तक कि प्रकाश भी बचकर नहीं निकल सकता इवेंट होराइजन (घटना क्षितिज) कहलाता है।” इवेंट होराइजन (घटना क्षितिज) ब्लैक होल की प्रारंभिक सतह होती है जो गुप गहरे काले रंग की होती है।

ब्लैकहोल की खोज किसने की?

ब्लैकहोल की जानकारी सर्वप्रथम किसने दी थी?

ब्लैकहोल की खोज का श्रेय किसी एक व्यक्ति को दिया जाये तो असल मायनों में यह गलत होगा। ब्लैकहोल की खोज से लेकर इसे अध्ययन लायक बनाने का काम मुख्य रूप से 03 लोगों ने किया। 

सबसे पहले सन 1783 में जॉन मिशेलजो कि दर्शन-शास्त्र के एक वैज्ञानिक थे। उन्होंने ब्लैकहोल के अस्तित्व को लेकर अपना दृष्टिकोण रखा था। जे0 मिशेल ने माना कि हमारे सौर-मंडल में ब्लैक होल की मौजूदगी है। जे0 मिशेल ही वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपने दृष्टिकोण से ब्लैक होल को अस्तित्व में लाया था। 

इसके बाद सन 1796 में फ्रांस के एक वैज्ञानिक पियरे-साइमन, मार्किस डी लाप्लास जो कि फ्रांसीसी गणितज्ञ थे उन्होने ने अपनी पुस्तक “The System of the World” में ब्लैक होल के बारे में एक थ्योरी का उल्लेख किया, 

जिसे पढ़कर अन्य लोगों में ब्लैकहोल को लेकर उत्सुकता तो बढ़ी, परन्तु उनकी थ्योरी पूर्ण न होने के कारण कोई खास गौर नही किया गया। सन 1916 में कार्ल श्वार्ज़ चाइल्ड जर्मन भौतिक शास्त्री ने ब्लैक होल को लेकर अपनी एक नई और अनोखी थ्योरी पेश की, 

जिसमें उन्होंने ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण बल और घनत्व की पूर्ण विस्तृत रूप से विवेचना की, जिसके चलते भविष्य में ब्लैक होल पर और गहराई से अध्ययन किया गया और बारीकी से समझने की कोशिश की गई।

ब्लैकहोल के सिद्धांत को किसने प्रतिपादित किया था?

ब्लैकहोल सिद्धांत का प्रतिपादन सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर (S. Chandrasekhar) जो कि अमेरिकी-भारतीय गणितज्ञ थे, उन्होंने किया था। अल्बर्ट आइंस्टीन की सामान्य सापेक्षता (जनरल रिलेटिविटी) के अनुसार, 

ब्लैक होल एक ऐसा ऑब्जेक्ट या वस्तु (पिंड) होता है जिसके गुरुत्वाकर्षण शक्ति का क्षेत्रइतना शक्तिशाली होता है, जिससे वह किसी भी दूसरे ऑब्जेक्टस या वस्तु (पिंड) को प्रकाश सहित अपनी ओर खींच सकता है।

अगर हम ब्लैकहोल में गिर जाए तो क्या होगा?

अगर हम ब्लैक होल के अंदर गिर जाए तो क्या होगा? क्या आप सच में जानना चाहते हैं? क्या सामान्य रूप से आप इसके अंदर चले जाएंगे? इस प्रश्न का उत्तर है, नहीं! ऐसा कुछ भी नहीं होगा। 

असल में जब आप ब्लैकहोल में गिर जाएंगे तो सबसे पहले ब्लैकहोल की तीव्र गुरुत्वाकर्षण शक्ति आपके शरीर को मजबूती से अपनी ओर खींचेगी, जिससे आपका इंसानी शरीर एक रबर की तरह पेश आएगा। 

यहां सवाल उठता है ऐसा क्यों? मान लीजिये जब आप ब्लैकहोल के अंदर गिर रहे हो तब आपके शरीर का वो भाग जो ब्लैकहोल के करीब होगा, वह ब्लैकहोल के तीव्र गुरुत्वाकर्षण बल को ज्यादा अनुभव करेगा। उसके मुकाबले जो भाग ब्लैकहोल से दूर है। 

तीव्र गुरुत्वाकर्षण बल आपके शरीर को एक रबर की तरह खींच देगा, और धीरे-धीरे आपके शरीर के सारे अणु-परमाणु बिखर जाएंगे और अंततः आपकी मृत्यु हो जाएगी, पर डरिये मत ऐसा कभी होगा नहीं। 

क्यों? प्रश्न उठता है कि ब्लैकहोल कहां है? हमारे सबसे करीबी जो ब्लैक होल मौजूद है, वह अपने सौर मंडल से हजारों प्रकाश वर्ष दूर है। तो फिर से सवाल उठता है कि क्या भविष्य में ब्लैकहोल धरती को निगल सकता है? जैसा की मैंने बताया कि हमारे सबसे करीबी जो ब्लैकहोल है

वह हमसे हजारों प्रकाश वर्ष दूर है। CYGNUS X-1 नाम का एक ब्लैक होल है जो हमारी पृथ्वी से 6000 प्रकाश वर्ष दूर है और उसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से 15 गुना ज्यादा है। परन्तु यह ब्लैक होल इतना ज्यादा दूर है कि इसका कोई भी प्रभाव हमारी पृथ्वी और सौरमंडल पर नहीं पड़ेगा तो आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है।

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अंत में-

आज की पोस्ट में बस इतना ही, उम्मीद करता हूँ कि आज की पोस्ट “ब्लैक होल ब्रह्मांड की सबसे अजीब जगह” से आपको पर्याप्त जानकारी जरूर मिली होगी। समय-समय पर इस पोस्ट और भी अपडेट किया जाता रहेगा। 

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