चौथा आयाम (समय और स्थान) | Fourth Dimension (Time & Place)

भविष्य की अवधारणा

चौथा आयाम: मारे समाज में कभी-कभी ऐसे लोग हमें मिल जाते हैं जो भविष्य की घटनाओं के बारे में ऐसी बातें बता देते हैं जो उन्होंने खुद ना देखी हो और ना ही किसी ने सुनी हो। इस चमत्कार को हम भविष्य या भूतकाल का एक दर्शन समझ सकते हैं। 

लेकिन यहां पर सवाल उठता है कि वह कौन सा माध्यम है जिससे उन्हें भविष्य और अतीत के बारे में पता चल जाता है, जिन्हें हम सामान्य मनुष्य नहीं देख पाते?

चौथा-आयाम-स्थान-और-समय-fourth-dimension-time

इस चमत्कार को हम चौथे आयाम की आभासी संज्ञा दे सकते हैं। आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह चौथा आयाम यानी फोर्थ डायमेंशन क्या है? वैसे हमारी दुनिया मुख्य तौर पर मात्र तीन आयामी यानी थ्री डायमेंशनल ही है। अब ये चौथा आयाम (समय और स्थान) की बात कहां से आई

दोस्तों चौथे आयाम को समझने से पहले हम सबसे पहले आयाम क्या होता है?, आयाम किसे कहते हैं या आयाम का अर्थ क्या होता है? इसको समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है- 

आयाम

किसी तरंग या वस्तु द्वारा एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक तय की गई दूरी में लगने वाला समय या आवर्त (समय) काल को उसका आयाम कहते हैं। अब प्रश्न उठता है कि अभी तक ज्ञात आयाम कितने है? तो इस प्रश्न का उत्तर है अभी तक ज्ञात आयाम हैं-  

1.    शून्य स्तर आयाम  (जीरो डायमेंशन)

2.    प्रथम स्तर आयाम (फर्स्ट डायमेंशन)

3.    द्वितीय स्तर आयाम (सेकंड डायमेंशन)

4.    तृतीय स्तर आयाम (थर्ड डायमेंशन)

5.  एक और चौथा आयाम (फोर्थ डायमेंशन) भी है जिस पर हम आज विशेष चर्चा आगे करेंगे।

शून्य स्तर आयाम

शून्य स्तर के आयाम को समझने के लिए हम एक बिंदु को लेते है। जो एक स्थान पर ही स्थिर है। जिसमें कोई भी डायमेंशन या दिशा(गति) नहीं है। इसी को शून्य स्तर आयाम कहते हैं। अगर हम शून्य स्तर के आयाम में रहते, तो हमारा जीवन मात्र एक बिंदु तक ही सीमित रहता और वहीं पर समाप्त हो जाता।

प्रथम स्तर आयाम (फर्स्ट डायमेंशन)-

शून्य स्तर के आगे बढ़ने पर हम आते हैं प्रथम स्तर आयाम (फर्स्ट डायमेंशन) पर। इसे समझने के लिए हम फिर से 02 बिंदुओं को एक सीमित दूरी पर लेते और इन 02नों बिंदुओं को आपस में एक सीधी रेखा से जोड़ देने पर हम 01 बिंदु से दूसरे बिंदु तक जा सकते हैं और वापस भी लौट सकते हैं।(चित्र) 

आयाम-dimension

द्वितीय स्तर आयाम (सेकंड डायमेंशन)-

प्रथम स्तर आयाम (फर्स्ट डायमेंशन) से आगे बढ़ने पर आता है द्वितीय स्तर आयाम (सेकंड डायमेंशन)। जिसमें हम 04 बिंदुओं एक-दूसरे से 90 डिग्री के कोण पर एक समान रेखा से जोड़ दें तो हम प्रारम्भिक बिंदु से आगे, दाएं, बाएं और वापस की दिशा में विचरण कर सकते हैं। लेकिन गहराई और ऊंचाई नहीं होती। 

सरल शब्दों में कहें तोहम दाएं-बाएं, आगे-पीछे तो जा सकते हैं, लेकिन हमें गहराई और ऊंचाई का कोई अनुभव नहीं होता।

तृतीय स्तर आयाम (थर्ड डायमेंशन)-

आपने सिनेमाघरों में 3D फिल्में तो देखी होंगी उन फिल्मों का कोई भी सीन आपको बेहद रोमांचित कर देता होगा बजाए 2D फिल्मों के। हालांकि हम तृतीय स्तर आयाम (थर्ड डायमेंशन) को महसूस कर समझ सकते हैं और देखकर उसका आंकलन लगा सकते हैं। 

क्योंकि एक समय में हम केवल शून्य से द्वितीय स्तर के आयाम को देखकर तृतीय स्तर के आयाम का आंकलन लगा सकते हैं। जैसा कि 3D फिल्मों को देखने में महसूस होता है। तृतीय स्तर आयाम (थर्ड डायमेंशन) में लंबाई-चौड़ाई के साथ ऊंचाई और गहराई भी समाहित होती है। जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है।

किसी भी वस्तु को बनाने या निर्माण करने के हमें तृतीय स्तर आयाम (थर्ड डायमेंशन) की मदद लेनी पड़ती है क्योंकि हम सभी थर्ड डायमेंशन में रहते हैं और जो कुछ भी हमारे आस-पास भौतिक रूप में उपस्थित है वह सब थर्ड डायमेंशन में ही है।

अब बात करते हैं अगले आयाम यानी चौथे आयाम (फोर्थ डायमेंशन) की जो आज का हमारा विषय है- 

चौथा आयाम क्या है?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस व्यक्ति से पूंछ रहे हैं – कुछ लोगों का मानना है कि चौथा आयाम समय का आयाम है, अगर उन्होंने भौतिकी का अध्ययनकिया होता है तो। वहीँ कुछ अन्य को लगता है कि यह अंतरिक्ष का एक और आयाम है, जो गोल-गोल (लूप में) घूम रहा है और जिसका कोई अंत नहीं है।

चौथा आयाम (फोर्थ डायमेंशन)-

हमारा ब्रह्मांड भी कई अलग-अलग आयामों से मिलकर बना है। लेकिन हम इनमें से सिर्फ 03 आयामों को ही देख और समझ पाते हैं। इसके आगे के आयाम जैसे- चौथा आयाम (फोर्थ डायमेंशन) बेहद जटिल हो जाता है जिनको समझने के लिए हमें गणित और भौतिकी जैसे क्षेत्रों का सहारा लेना पड़ता है। 

 

fourth-dimension-time
चौथा आयाम… समय — Image source DIMENSION

चौथा आयाम या फोर्थ डायमेंशन जिसे समय से परिभाषित किया जाता है। साथ ही स्थान जिसको पांचवें आयाम (फिफ्थ डायमेन्शन) से परिभाषित किया जा रहा है। इसको समझना वास्तव में इतना आसान नहीं है बल्कि काफी हद तक जटिल है। 

आज हम चौथे आयाम यानी फोर्थ डायमेंशनसमयपर गहराई से समझने जा रहे हैं और हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि यह वास्तव में क्या है?

असल में कोई भी इसके बारे में नहीं सोचता, क्योंकि हम समय में आगे और पीछे जाने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं| समय! अंतरिक्ष के बाकी तीनों आयामों से इतना अलग है, कि हम इसके व्यतीत होने का बस अनुभव कर पाते हैं।

अंतर यह है कि हम तीन अंतरिक्ष आयामों में जाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन हम उस आयाम में स्थानांतरितहोने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं। जिसे कहते हैं चौथा आयाम (फोर्थ डायमेंशन) यानी समय और पांचवें आयाम (फिफ्थ डायमेन्शन) समय स्थान।

फिर भी अंतरिक्ष में समय एक निरंतर अनुक्रम का हिस्सा हैं। अंतरिक्ष और समय आपस में जुड़े हुए हैं क्योंकि वे एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। और इस बात का उल्लेख सर अलबर्ट आइंस्टीन ने अपने  सामान्य सापेक्षता सिद्धांत यानी ‘थ्योरी ऑफ़ जनरल रिलेटिविटी’ में भी किया या समझाया है

वे एक दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं?

हमारे समझने के लिए हम थोड़ा सोचा गया प्रयोग करने जा रहे हैं, यह वही विचार प्रयोग है जिसने आइंस्टीन को 1905 में सापेक्षता के अपने पहले सिद्धांत के लिए प्रेरित किया था। 

आइए कल्पना करें कि हम एक घड़ी पर समय पढ़ रहे हैं। हम समय पढ़ सकते हैं क्योंकि प्रकाश स्रोत से आने वाली रोशनी घड़ी के पृष्ठ तल से उछलकर हमारी आंखों तक आ रही है। 

हम जानते हैं कि प्रकाश लगभग 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकेंड की निरंतर तेज गति से यात्रा करता है लेकिन क्या हो अगर इससे पहले कि प्रकाश अपनी गति से आपकी आंखों तक पहुँचे, आप प्रकाश की 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से आगे बढ़ जाएं, तो आपका समय रुक जाएगा। मतलब आप समय में यात्रा करने लगेंगे।

उदाहरण के तौर पर आप ट्रेसरेक्ट को देखिये- जो अभी भी एक छवि ही है और यही कारण है कि चौथे आयाम का पता लगाना अपेक्षाकृत कठिन है। आप थोड़ा भ्रमित भी हो सकते हैं, लेकिन ट्रेसरेक्ट 100% सही है जैसा कि आप उसे देखते हैं यह वास्तव में 2-डी स्क्रीन पर एक 3 डी मॉडल में 4 डी दुनिया को चित्रित करने का आभास देता है। 

आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी साबित हुई है (और हमने ऐसे प्रयोग देखे और किए हैं जो हमें बताते हैं कि जनरल रिलेटिविटी सच है)स्पेस और टाइम दो अलग-अलग चीजें नहीं हैं, बल्कि एक-दूसरे से संबंधित हैं। इन मापदंडों में से किसी एक पर कोई प्रभाव दूसरे में परिवर्तन दिखाएगा। इसे द स्पेस-टाइम कॉन्टिनमकहा जाता है। 

सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत कहता है कि समय सापेक्ष है और एक बिंदु से दूसरे बिंदु पर भिन्न होता है। यह भी कहता है कि पर्याप्त रूप से मुड़ने/स्थान बदलने से एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक समय के प्रवाह में विचलन हो सकता है।

सरल शब्दों में इसका मतलब है कि ब्रह्मांड के निर्माण में समय भी एक मानक पैरामीटर है!

वर्महोल (Wormhole)-

वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे ब्रह्माण्ड में कई जगहों पर महीन छिद्र या सुराख है जिसका नाम उन्होने वर्महोल रखा है, ये वर्महोल ब्रह्मांड में जहाँ पर मौजूद हैं वहां का समय और अंतरिक्ष की सारी भौतिक व ज्यामिति गणनाएँ एक हो जाती है।

साधारण शब्दों में कहें तो जहां वर्महोल होगा वहां पर समय और अंतरिक्ष का एक दूसरे मे रूपांतरण होना संभव है। समय और अंतरिक्ष के आपस में एक हो जाने के कारण ब्रह्माण्ड मे जितने आयाम है वे सब उस विन्दु (वर्महोल) में समाहित हो जाते हैं।

मौलिक तौर पर वर्महोल बहुत ही छोटे आकार के होते है वहीं माइक्रोस्कोपिक स्तर पर इनका आकार 10-35 मीटर के लगभग माना जाता है। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है वर्महोल के आकार को बढ़ाया जा सकता है क्योंकि हमारा ब्रह्मांड आज भी तेज गति से फैल रहा है।

साथ ही कई भौतिकविदों का मानना है कि भविष्य में हमारे द्वारा यदि बड़े आकार के वर्महोल का निर्माण सफलता पूर्वक कर लिया जाता है तो यह वर्महोल हमारे लिए समय यात्रा के दरवाजे खोल सकता है और हमारे समय यात्रा के सपने को संभव बना सकता है।

ऐसे तथ्य जिन्हें समझना होगा-

1. आपको समझना चाहिए कि 1D प्राणी के लिए 2D ऑब्जेक्ट देखना असंभव है। इसी तरह 2D प्राणी के लिए 3D दुनिया देखना असंभव है, और 3D और 4D दुनिया के लिए भी यही नियम लागू होता है।

2.  3D दुनिया के लिए 2D ऑब्जेक्ट होना भी असंभव है और इसी तरह 2D दुनिया के लिए 1D ऑब्जेक्ट होना असंभव है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 2D आकार या ऑब्जेक्ट को प्रदर्शित करने के लिए आपके पास कोई भी वस्तु कितनी पतली है

इसमें हमेशा कुछ मोटाई होगी। और यही कारण है कि हम प्रकृति में 02 आयामी होने के लिए केवल एक वस्तु के क्रॉस-सेक्शन को मानते हैं क्योंकि क्रॉस-सेक्शन कल्पनाशील सतह हैं जो हम गणना के साथ हमारी मदद करने के लिए उपयोग करते हैं।

3.  समय का एक 4D आयामी इकाई होने का विचार अभी भी वैज्ञानिकों के बीच एक बहस का विषय है। लेकिन हमारे पास अभी जो ज्ञान और तकनीक है, वह उस समय को चतुर्थ आयामी मात्रा मानकर समझदार और स्मार्ट है।

4. मानव मन के लिए कभी भी एक चतुर्थ आयामी दुनिया को देखना असंभव है क्योंकि उस समय में दोनों दुनिया के लिए एक दूसरे के लिए एक रहस्यमय और भ्रामक तरीके से प्रवाह करना शुरू हो जाएगा।

5. वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्रह्मांड के विभिन्न हिस्सों में पोर्टल (छिद्र) हैं जो उच्च और निम्न आयामी दुनिया के दरवाजे के रूप में कार्य करते हैं। इसे मल्टीवर्स का विचार कहा जाता है। ये अभी तक खोजे नहीं गए हैं, लेकिन कौन जानता है कि भविष्य में क्या हो सकता है।

खगोल विज्ञान से संबंधित अन्य लेख-

अंत में

अंत में यह कहना चाहूंगा कि बहुविध संभावनाएं कल्पनाशील सी लगती हैं, क्योंकि जैसा हम आज से 200-300 साल पहले तक ब्लैक होल और क्वेसार(quasar जोक्वासी स्टेलर रेडियो सोर्सका संक्षिप्त रूप है) जैसी अवधारणाओं को नहीं मानते थे, लेकिन वे तब भी मौजूद थे और आज भी मौजूद है। 

नतीजन हम अपनी कल्पनाओं को सीमित नहीं कर सकते, क्योंकि यह हमारे विकास का सबसे बड़ा उपकरण है जिसका उपयोग कर हम प्रकृति को समझने और ब्रह्मांड के रहस्यों को अनलॉक करने के लिए कर सकते हैं … ! 

और हां सामान्य ज्ञान के लिए कुछ प्रश्न और उनके उत्तर-

  1. आयाम का मात्रक क्या हैउत्तर- आयाम का मात्रक मीटर होता है।
  2. आयाम का पर्यायवाची कौन-कौन से हैं? उत्तर- विस्तार, फैलाव, प्रसार, डायमेंशन
  3. आयाम का हिन्दी अर्थ क्या है? उत्तर- अधिकतम सीमा, विस्तार, विस्तीर्णता

आशा है कि आपको आज के विषय चौथा आयाम… स्थान और समय के संबंध में पर्याप्त जानकारी अवश्य मिली होगी। समय-समय पर इस पोस्ट से संबंधित और भी जानकारी जोड़ी जाती रहेगी। 

नए अपडेट के लिए वेबसाइट को Subscribe करें, पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों और जरूरतमंद लोगों के साथ Share करें, और यदि कुछ पूछना या कहना चाहते हैं तो Comment Box में लिखें।

अनमोल संदेश- पढ़ें, पढाएं ज्ञान बढाएं और जीवन को सफल बनाएं.

 धन्यवाद!

जय हिन्द! जय भारत!

Leave a Comment

%d bloggers like this: