बुध ग्रह के बारे में रोचक जानकारी
हमारे सौरमंडल में सूर्य के सबसे पास स्थित बाकी सभी ग्रहों से सबसे छोटा ग्रह है बुध। जिसका औसत व्यास लगभग 4880 किमी0 का है, यह सौरमंडल के बाकी सभी ग्रहों की तुलना में सूर्य की परिक्रमा तेजी से करता है, इसका परिक्रमा काल(समय) 88 पृथ्वी दिन का होता है।
अपनी तेज तर्रार परिक्रमा के कारण रोमनों ने इसको देवदूत (देवता का दूत मरकरी) कहा है। जिससे इसका नाम मरकरी (Mercury) पड़ा.
सबसे पहले ग्रीक खगोल विज्ञानी टिमोचेरिस (TIMOCHARIS) ने लगभग 200 ईसा पूर्व में बुध ग्रह को खोजा था. सुमेरियन सभ्यता के लोग भी बुध ग्रह के बारे में भली-भांति जानते थे। जहां अक्सर बुध ग्रह को लेखन के देवता नबू (Nabu) से जोड़ा जाता था। हालांकि, भोर या सुबह का तारा और शाम का तारा दोनों के रूप में प्रकट होने के लिए बुध को अलग-अलग नाम दिए गए थे।
लेकिन ग्रीक के खगोलविदों को पता था कि दो नामों से जाना या पहचाना जाने वाला ग्रह बुध ही हैं, और हेराक्लाइटेस (लगभग 500 ईसा पूर्व) ने सही ढंग से अनुमान लगाया कि बुध और शुक्र दोनों ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, न कि पृथ्वी की।
साल 1543 में निकोलस कोपरनिकस ने तमाम खगोलविदों के समक्ष अपना एक नया मॉडल हेलियोसेंट्रिक रखा, जिसमें उन्होंने पृथ्वी को हमारे सौरमंडल का केंद्र न मानकर, सूर्य को केंद्र माना और बताया कि बुध, शुक्र और पृथ्वी सहित अन्य सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा यानी चक्कर लगाते हैं.
इसके बाद महान खगोल विज्ञानी गैलीलियो ने जब अपनी एक छोटी सी दूरबीन से अंतरिक्ष की ओर देखा तो उन्हें बुध और शुक्र ग्रह की क्षवियां दिखाई पड़ी,
अपनी छोटी सी दूरबीन की सहायता से गैलीलियो ने निकोलस कोपरनिकस के मॉडल की सटीकता की पुष्टि भी की. 1960 के दशक में रेडियो सिग्नल की मदद से खगोलविदों ने बुध ग्रह के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त की.
बुध ग्रह का आकार-
बुध ग्रह पृथ्वी के चंद्रमा से थोड़ा ही बड़ा है लेकिन शनि ग्रह के चंद्रमा डीमोस से छोटा है। चूंकि इस ग्रह पर पड़ने वाले प्रभावों को रोकने के लिए यहां कोई महत्वपूर्ण वातावरण नहीं है, इसलिए हलके वातावरण के कारण इस ग्रह पर एस्ट्रोयड और कोमेट्स द्वारा बड़े क्रेटर के निशान बनाये गए हैं।
आज से लगभग 4 अरब साल पहले, लगभग 60 मील (100 किलोमीटर) चौड़े एक क्षुद्रग्रह (उल्का पिंड) बुध से जा टकराया. बुध पर इस टक्कर के प्रभाव से लगभग 960 मील (1550 किमी) चौड़ा एक विशाल गड्ढा (क्रेटर) बन गया,
जिसे हम कैलोरिस बेसिन के नाम से जानते हैं, इस क्रेटर का आकार इतना बड़ा था कि यह संयुक्त राज्य अमरीका के राज्य टेक्सास (Texas) को अपनी चपेट में ले सकता है। यह घटना भी बुध ग्रह के अजीब चक्कर लगाने एक परिस्थिति हो सकती है।
बुध ग्रह पर वातावरण-
वैज्ञानिकों ने अपने शोधों से पता लगाया है कि बुध ग्रह पर मुख्यतः सोलर फ्लेयर (सूर्य विकिरण) और खगोलीय पिंडों की बौछार होती रहती है साथ ही कुछ मलबा इससे टकराकर वापस अंतरिक्ष में भी चला जाता है, जिसके कारण यहां का वातावरण हल्का होने के साथ-साथ नया बना रहता है. इसका वातावरण किसी भी अन्य ग्रह की तुलना में बहुत ही घातक है.
बुध का कोर-
पृथ्वी के बाद दूसरा सबसे सघन ग्रह बुध ही है, जिसका विशाल धातु कोर लगभग 3,600 से 3,800 किमी (2,200 से 2,400 मील) चौड़ा है, यह ग्रह के व्यास का लगभग 75 प्रतिशत है। इसकी तुलना में बुध की बाहरी परत (आवरण) केवल 500 से 600 किमी (300 से 400 मील) ही मोटी है।
इसके विशाल कोर और वाष्पशील तत्वों की प्रचुरता के संयोजन ने वैज्ञानिकों को वर्षों तक हैरान कर दिया है।
जैसे कि मेरिनर 10 की खोज से पता चला कि बुध के पास अपना चुम्बकीय क्षेत्र है, साथियों चुम्बकीय क्षेत्र उस ग्रह के पास होता है जिसका कोर धातु का बना होता है, साथ ही जो जल्दी से घूमने की प्रक्रिया कर सकते हैं.
हालांकि कुछ वैज्ञानिक का मानना है कि बुध का कोर ठंडा हो चुका है लेकिन साथ कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि इसका कोर सिर्फ बाहरी परत में ठोस है, अन्दर से ये अभी भी तरल धातु लावा के रूप में मौजूद है. बुध का चुम्बकीय क्षेत्र पृथ्वी की तुलना में मात्र एक तिहाई ही है फिर भी यह ग्रह ज्यादा सक्रिय है.
जैसे-जैसे इसका कोर ठंडा होता जा रहा है, वैसे-वैसे यह अपने आकार से छोटा या सिकुड़ता जा रहा है. यह न केवल अतीत में सिकुड़ रहा था बल्कि आज भी सिकुड़ता जा रहा है ।
इसका ऊपरी आवरण या सतह एक ठंडे लोहे के कोर के ऊपर एक महाद्वीपीय प्लेट (चट्टान) से बना है। जैसे ही कोर ठंडा होता है, यह जम जाता है, जिससे ग्रह का आकार कम हो जाता है और यह सिकुड़ जाता है।
इसकी इस प्रक्रिया ने सतह को कुचल कर रख दिया है, साथ ही बड़ी-बड़ी ऊबड़-खाबड़ चट्टानों का निर्माण किया, कुछ चट्टाने सैकड़ों मील लंबी और एक मील ऊंची होने के साथ गहरी भी हैं. “ग्रेट वैली”,
जो लगभग 620 मील लंबी, 250 मील चौड़ी और 2 मील गहरी थी (1,000 X 400 X 3.2 किमी) एरिजोना के प्रसिद्ध ग्रैंड कैनियन से बड़ी है और साथ ही पूर्वी अफ्रीका की ग्रेट रिफ्ट वैली से भी गहरी है।
बुध ग्रह की तापीय विशेषताएं-
चूंकि खगोलीय पैमाने पर बुध ग्रह, शुक्र और पृथ्वी ग्रह की अपेक्षा सूर्य के बहुत ज्यादा करीब है, इसलिए इसके तापमान में सबसे ज्यादा बदलाव भी देखने को मिलता है, दिन में बुध ग्रह की सतह का तापमान लगभग 0 से लेकर 450 डिग्री सेल्सियस (850 डिग्री फारेनहाइट) तक पहुंच सकता है,
जबकि रात के तापमान में माइनस 170 डिग्री सेल्सियस (275 डिग्री फारेनहाइट) तक गिरावट आ जाती है. लगभग 600 डिग्री सेल्सियस (1,100 डिग्री फ़ारेनहाइट) से भी अधिक का तापमान में बदलाव सूर्य के सबसे नजदीक होने व बुध ग्रह पर कोई खास वातावरण न होने का एक कारण हो सकता है।
बुध की कक्षीय विशेषताएं-
बुध ग्रह हर 88 पृथ्वी दिनों में सूर्य के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी करता है, और इसकी अंतरिक्ष में परिक्रमा यात्रा गति लगभग 180,000 किमी/घंटा (लगभग 112,000 मील प्रति घंटे) है, जो किसी भी अन्य ग्रह की तुलना में सबसे तेज है।
इसकी परिक्रमा करने की कक्षा अत्यधिक अण्डाकार है, सूर्य के करीब होने पर बुध की गति 47 मिलियन किमी (29 मिलियन मील) और सूर्य से दूर जाने पर इसकी गति 70 मिलियन किमी (43 मिलियन मील) हो जाती है।
यदि कोई बुध पर खड़ा हो सकता तो जब बुध सूर्य के सबसे निकट होता है, तो यह पृथ्वी से देखने पर तीन गुना से अधिक बड़ा दिखाई देता है। पृथ्वी से बुध की दूरी 84.424 मिलियन किमी0, बुध से शुक्र ग्रह की दूरी 239.89 मिलियन किमी0 और बुध से सूर्य की दूरी 69.377 मिलियन किमी0 है.
वायुमंडलीय संरचना (मात्रा के अनुसार)-
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार, बुध का वातावरण “सतह-बाध्य एक्सोस्फीयर, अनिवार्य रूप से एक निर्वात” है।
इसमें आर्गन, कार्बन डाइऑक्साइड, पानी, नाइट्रोजन, ज़ेनान, क्रिप्टन और नियॉन की संभावित मात्रा के साथ 42 प्रतिशत ऑक्सीजन, 29 प्रतिशत सोडियम, 22 प्रतिशत हाइड्रोजन, 6 प्रतिशत हीलियम, 0.5 प्रतिशत पोटेशियम होता है।
- चुंबकीय क्षेत्र– पृथ्वी की शक्ति का लगभग 1 प्रतिशत।
- आंतरिक संरचना– लोहे का कोर लगभग 3,600 से 3,800 किमी (2,200 से 2,400 मील) चौड़ा। बाहरी खोल सिलिकेट जो लगभग 300 से 400 मील (500 से 600 किमी) मोटा हो सकता है
- कक्षा और घूर्णन, सूर्य से औसत दूरी– 57,909,175 किमी (35,983,095 मील) तुलना करके: 0.38 पृथ्वी की सूर्य से दूरी।
- पेरिहेलियन (सूर्य के सबसे निकट का दृष्टिकोण)- 47,000,000 किमी (28,580,000 मील) तुलना करके: पृथ्वी के 0.313 गुना।
- अपहेलियन (सूर्य से सबसे दूर की दूरी)- 69,820,000 किमी (43,380,000 मील) तुलना करके: पृथ्वी के 0.459 गुना।
- दिन की लंबाई– 58.646 पृथ्वी-दिन।
पृथ्वी से भेजे गए स्पेसक्राफ्ट-
मेरिनर 10 बुध की ओर पृथ्वी से भेजा गया पहला स्पेसक्राफ्ट था. मेरिनर 10 द्वारा की गई एक पूरी तरह से अप्रत्याशित खोज यह थी कि इसने 1974 से 1975 के बीच बुध ग्रह की परिक्रमा की और पता लगाया कि बुध ग्रह के पास एक चुंबकीय क्षेत्र था।
ग्रह सैद्धांतिक रूप से केवल तभी चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जब वे तेजी से घूमते हैं और एक धातुई या पिघला हुआ कोर रखते हैं।
लेकिन बुध को घूमने में 59 दिन लगते हैं और यह इतना छोटा है कि पृथ्वी के आकार का लगभग एक तिहाई, इसका मूल कोर बहुत पहले ठंडा हो जाना चाहिए था, पर इसका कोर आज भी सक्रिय है।
इसके बाद साल 2004 में नासा द्वारा बुध की परिक्रमा करने के लिए भेजे गए अंतरिक्ष यान मेसेंजर ने बुध ग्रह के उत्तरी ध्रुव के चारों ओर क्रेटरों में पानी की बर्फ की खोज की, बुध ग्रह का यह क्षेत्र, जो सूर्य की गर्मी से स्थायी रूप से बचा हो सकता है।
वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि बुध के दक्षिणी ध्रुव में बर्फीले पॉकेट भी हो सकते हैं, जब वैज्ञानिकों ने इसकी जांच करनी चाही तो मेसेंजर अपनी कक्षा से निकल नहीं पाया। शोधकर्ताओं का मानना है कि धूमकेतुओं या फिर उल्कापिंडों ने बुध ग्रह पर बर्फ पहुंचाई होगी,
या फिर ग्रह के आंतरिक भाग से जल वाष्प निकलकर ध्रुवों पर जम गया होगा। मैसेंजर स्पेसक्राफ्ट को तकनीकी खराबियों के कारण 30 अप्रैल 2015 को बुध ग्रह की सतह पर ध्वस्त कर दिया गया.
बुध ग्रह पर शोध-
बुध की सतह पर चट्टानों के शोध करने वाले शोधकर्ताओं ने 2016 के एक अध्ययन ने सुझाव दिया और कहा कि दरअसल, बुध ग्रह अभी भी भूकंप के साथ गड़गड़ाहट कर सकता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि पृथ्वी एकमात्र विवर्तनिक रूप से सक्रिय ग्रह नहीं है।
इसके अलावा, अतीत में, ज्वालामुखी गतिविधियों द्वारा बुध की सतह को लगातार नया आकार दिया जा रहा था।
हालांकि, 2016 के एक अन्य अध्ययन में सुझाव दिया कि बुध के ज्वालामुखी विस्फोट की संभावना लगभग 3.5 अरब साल पहले समाप्त हो गई थी।
एक बयान देते हुए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स के प्रोफेसर क्रिस्टोफर रसेल ने कहा “हमने पता लगाया था कि पृथ्वी कैसे काम करती है, और बुध भी एक लोहे के कोर वाला एक और स्थलीय, चट्टानी ग्रह है, इसलिए हमने सोचा कि यह उसी तरह काम करेगा”।
उन्होंने एक मॉडल के माध्यम से बताते हुए कहा कि बुध का लौह कोर आंतरिक की ठोस के बजाय बाहरी सीमा पर तरल से ठोस हो सकता है। 2007 में पृथ्वी-आधारित रडारों के अवलोकनों व निरीक्षणों द्वारा खोज से पता चला कि बुध का कोर अभी भी पिघला हुआ हो सकता है, जो इसके चुंबकत्व को समझाने में मदद कर सकता है,
हालांकि सोलर विंड ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र को कम करने में कुछ भूमिका निभा सकती है । बुध का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की ताकत का मात्र 1 प्रतिशत ही है, लेकिन यह अभी भी बहुत सक्रिय है।
सोलर विंड के कारण सूर्य से निकलने वाले आवेशित कण समय-समय पर बुध के क्षेत्र को छूते रहते हैं, जो कि बेहद शक्तिशाली चुंबकीय बवंडर बनाते हैं जिससे कोर का गर्म प्लाज्मा ग्रह की सतह तक आता जाता रहता हैं।
2016 के एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि बुध ग्रह की सतह की विशेषताओं को आम तौर पर दो समूहों में विभाजित किया जा सकता है-
- पुरानी सामग्री से युक्त है जो कोर-मेंटल सीमा पर उच्च दबाव में पिघलती है, और
- नई सामग्री जो बुध की सतह के करीब बनती है।
2016 के एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि बुध की सतह का गहरा रंग कार्बन के कारण है। यह कार्बन धूमकेतुओं को प्रभावित करके जमा नहीं किया गया था, जैसा कि कुछ शोधकर्ताओं को संदेह था – इसके बजाय, यह ग्रह की प्रारंभिक परत का अवशेष हो सकता है।
अनुसंधान और अन्वेषण-
बुध की यात्रा करने वाला पहला अंतरिक्ष यान मेरिनर 10 था, जिसने सतह के लगभग 45 प्रतिशत की जांच की और इसके चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाया। नासा का मेसेंजर ऑर्बिटर बुध की यात्रा करने वाला दूसरा अंतरिक्ष यान था।
मैसेंजर अंतरिक्ष यान 30 अप्रैल, 2015 को समाप्त हो गया, जो खराब होकर बुध ग्रह की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
2012 में, वैज्ञानिकों ने मोरक्को में उल्का पिंडों के एक समूह की खोज की जो उनके अनुसार ये उल्का पिंड बुध ग्रह से उत्पन्न हो सकते हैं । यदि ऐसा है, तो यह चट्टानी ग्रह को पृथ्वी पर उपलब्ध नमूनों के साथ एक बहुत ही चुनिंदा समूह का सदस्य बना देगा, क्योंकि अभी तक ज्ञात केवल चंद्रमा, मंगल और क्षुद्रग्रह बेल्ट में स्थापित चट्टानें हैं।
2016 में, वैज्ञानिकों ने बुध ग्रह (मरकरी) का पहला वैश्विक डिजिटल-एलिवेशन मॉडल जारी किया, जिसने दर्शकों को छोटी दुनिया के व्यापक-खुले स्थानों में ले जाने के लिए मेसेंजर द्वारा ली गई 10,000 से ज्यादा तस्वीरों (छवियों) को जोड़ा।
तस्वीरों से बने मॉडल ने ग्रह के उच्चतम और निम्नतम बिंदुओं का खुलासा किया. उच्चतम बुध के भूमध्यरेखा के दक्षिण में पाया जाता है, जो ग्रह की औसत ऊंचाई से 4.48 किमी (2.78 मील) ऊपर अवस्थित है,
जबकि सबसे निचला बिंदु राचमानिनॉफ बेसिन में रहता है। ग्रह पर सबसे हाल की ज्वालामुखी गतिविधि, और परिदृश्य औसत से 5.38 किमी (3.34 मील) गहरे है।
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बुध ग्रह से संबंधित परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्न-
प्रश्न- क्या बुध ग्रह पर जीवन संभव है?
उत्तर- नहीं! बुध ग्रह पर किसी भी प्रकार के जीवन का अस्तित्व अभी तक मिला नहीं है. चूँकि बुध ग्रह पर सूर्य का सबसे ज्यादा और सीधा प्रभाव पड़ता है और साथ ही बुध सूर्य से टाइडली लॉक है, इसलिए यहां पर जीवन संभंव नहीं हो सकता.
प्रश्न- बुध ग्रह का रंग कैसा है, या कौन सा है?
उत्तर- बुध ग्रह हरे रंग का नजर आता है क्योंकि इससे हरे रंग की विकिरण निकलती दिखाई देती हैं.
प्रश्न- बुध ग्रह पर क्या है?
उत्तर- बुध ग्रह के ध्रुवों पर बर्फ और ध्रुवों के बाहर गहरे गड्ढ़े (क्रेटर) साथ ही कहीं-कहीं पर समतल भूमि है.
प्रश्न- भोर और सांझ का तारा किस ग्रह को कहा जाता है?
उत्तर- भोर और सांझ का तारा बुध ग्रह को ही कहा जाता है.
प्रश्न- बुध के कितने उपग्रह हैं?
उत्तर- बुध और शुक्र ग्रह का कोई भी प्राकृतिक उपग्रह मौजूद नहीं है.
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अंत में-
उम्मीद करता हूँ कि आपको बुध ग्रह से संबंधित प्रश्नों और विशेष पहलुओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जरूर मिली होगी, बुध हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह होते हुए भी अपनी एक विशेष पहचान बनाकर आज भी सूर्य के चारो ओर निरंतर तेज गति से परिक्रमा कर रहा है और आगे भविष्य में भी करता रहेगा.
इसी के साथ आज की पोस्ट बुध हमारे सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह में इतना ही, आगे बुध ग्रह से संबंधित और जानकारी जोड़ी जाती रहेगी, नए अपडेट पाने के लिए वेबसाईट को subscribe करें, और हां यदि कोई कोई सुझाव या कुछ कहना चाहते हैं तो comment box में लिखें, साथ ही इस जानकारी को जरूरतमंद लोगो के साथ share जरूर करें.
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